हंसा चल रे अपने देश : मनकही

मनुष्य जैसे यात्रा से पूर्व सारी चीजों को समेटना प्रारंभ कर देता है। वैसे ही जीवन यात्रा समाप्त होने से पूर्व जीवन मे जो मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, ईमानदारी, सभी कुछ सहेजने का  समय आ जाता है। मन में एक साध रहती है  किसी के साथ अन्याय न हो। ईमानदारी से जितना बन पड़े उतना काम तो कर लें क्योंकि दो दिन का जग मेला, अब चला चली का बेरा। मनुष्य अच्छे कर्म के द्वारा ही आने वाली पीढ़ियों के समक्ष अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत कर सदैव याद किया जाता है।

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दृढ संकल्प और आत्मनियंत्रण द्वारा कोरोना से बचाव : मनकही

वैश्विक महामारी  कोरोना से जहां विश्व जूझ रहा है वहीं इसका सामना करने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय सोशल डिस्टेंसी को

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जहाँ सुमति तहँ संपति नाना : मनकही

आज पूरा विश्व कोरोना (covid 19) नामक भयानक वायरस की चपेट में आ गया है जिससे चारों ओर भय, बीमारी

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संयमित जीवन एवं कार्य शैली ही श्रेयकर

किसी भी व्यक्ति ,समाज, राष्ट्र का कल्याण व्यवस्थित कार्य शैली को अपनाकर ही हो सकता है। सुव्यवस्था ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है। वेद-पुराण व शास्त्रों में जीवन को सुखी करने के लिए निरोगी काया के साथ संयमित आहार-विहार प्रमुखता दी गई है।

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अभिव्यक्ति का प्राचीनतम माध्यम रेखांकन एवं चित्रांकन : मनकही

कहा जाए तो समस्त प्रकृति ही ईश्वर की अनुपम रचना है, परन्तु मनुष्य उसमें विशिष्ट है क्योंकि इसको ईश्वर ने

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उत्तरदायित्व के साथ धैर्य का अटूट सम्बन्ध है : मनकही

सृष्टि के रचयिता ने जब मानव की रचना की तो उसे कुछ जीवन मूल्यों और उनसे जुड़े दायित्वों के साथ

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