बीजापुर के इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में छह नक्सली मारे गए। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सुरक्षा बलों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि नक्सलवाद अब अपने अंत की ओर है।
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बाद एग्जिट पोल की ओर सबकी निगाहें हैं। पिछले चुनावों में एग्जिट पोल अक्सर वास्तविक परिणामों से भटकते रहे हैं, जैसे 2015 और 2020 में हुआ। अब 2025 के चुनावों में यह देखने की जानी होगी कि पोल कितने सटीक साबित होते हैं।
बलौदाबाजार जिले के सुहेला दुर्गोत्सव मेले में युवक गोपाल साहू की चाकू मारकर हत्या, पुलिस ने मामला दर्ज कर हमलावरों की तलाश शुरू की।
वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्रता चेतना का प्रतीक है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की कलम से निकला यह राष्ट्रगीत स्वाधीनता संग्राम के दौरान जन-जन की आवाज बना। शताब्दी वर्ष पर यह गीत आज भी भारत के सांस्कृतिक गौरव, एकता और मातृभूमि-भक्ति का प्रतीक है।
जशपुर के आदिवासी युवाओं ने हिमाचल की जगतसुख पीक पर नया “विष्णु देव रूट” खोलकर भारतीय पर्वतारोहण इतिहास में नई मिसाल कायम की। यह उपलब्धि आल्पाइन शैली में पूरी की गई, जो तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन मानी जाती है।
स्त्री सौंदर्य, अलंकरण और सोलह श्रृंगार की परंपरा वैदिक काल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। जानिए कैसे यह श्रृंगार भावनात्मक, धार्मिक और सौंदर्यात्मक प्रतीक के रूप में विकसित हुआ।
भैरव जयंती भय से भक्ति तक की यात्रा का प्रतीक है। भगवान शिव के काल भैरव रूप की यह जयंती हमें समय, अनुशासन और आत्मबल का संदेश देती है। जानिए इसकी पौराणिक कथाएं, महत्व और आधुनिक संदर्भ।

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने नई वीज़ा नीति जारी की है, जिसके तहत डायबिटीज़, मोटापा और अन्य गंभीर बीमारियों वाले विदेशी नागरिकों को वीज़ा से वंचित किया जा सकता है। यह कदम उन आवेदकों को रोकने के लिए उठाया गया है जो भविष्य में सार्वजनिक सहायता पर निर्भर हो सकते हैं।
श्रीकृष्ण का वचन “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” केवल धार्मिक कथन नहीं, बल्कि एक पर्यावरणीय दर्शन है। जब हम इस भाव को जीवन में अपनाते हैं, तब हमारे भीतर करुणा, संतुलन और कृतज्ञता स्वतः जागृत होती है।
वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्रता चेतना का प्रतीक है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की कलम से निकला यह राष्ट्रगीत स्वाधीनता संग्राम के दौरान जन-जन की आवाज बना। शताब्दी वर्ष पर यह गीत आज भी भारत के सांस्कृतिक गौरव, एकता और मातृभूमि-भक्ति का प्रतीक है।
