छत्तीसगढ़
पुलिस ने अंतर्राज्यीय गांजा तस्करी का किया भाण्डा फोड़
दोनों के मेमोरेण्डम पर से अजय साहनी, अजय प्रसाद एवं ऐबी साहनी जो गांजा लेकर अपने चार पहिया वाहन दो सफेद रंग के कार में गांजा रखा है। इसमें सफेदा एवं मार्कर पेन से नाम और सरनेम का प्रथम अक्षर लिखा हुआ बताया पिन्तू कुमार साहनी से बारिकी से पूछताछ करने पर बताया कि वह ओड़िशा के किसी व्यक्ति से गांजा खरीदता है एक ट्रीप का 06 लाख रूपए देना बताये।
खबर राज्यों से
शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के पीछे की गलतियाँ: नितिन गडकरी का बड़ा बयान
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग स्थित राजकोट किले में 35 फीट ऊंची छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा के गिरने के बाद से विवाद बढ़ता जा रहा है। विपक्ष लगातार बीजेपी सरकार पर हमले कर रहा है, और पीएम मोदी पर भी निशाना साधा गया है। इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रतिमा के गिरने के पीछे जंग लगने की समस्या को मुख्य कारण बताया है। उन्होंने कहा कि समुद्र के पास स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया जाता, तो प्रतिमा नहीं गिरती। गडकरी ने कहा कि समुद्र के आसपास जंग लगने की समस्या अधिक होती है और स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल इस समस्या का समाधान हो सकता है।
इतिहास
पेन्ड्रा के धनपुर में टिकरे की खुदाई में मिली भगवान राम की प्रतिमा
धनपुर में सोमवार को जेसीबी से खेत की खुदाई के दौरान भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की प्राचीन मूर्ति, पिलर और अन्य अवशेष मिले। किसान मंगल सिंह गोंड़ ने मूर्ति को सुरक्षित रख दिया है। इस स्थान से पहले भी पुरातात्विक महत्व की अन्य सामग्रियाँ भी प्राप्त होते रही हैं। इससे ज्ञात होता है कि यहां कोई पुराना नगर रहा होगा।
घुमक्कड़ जंक्शन
बिलासपुर और जगदलपुर स्वदेश दर्शन 2.0 में शामिल
छत्तीसगढ़ के धार्मिक और पर्यटन स्थल की भव्यता एवं उसके कायाकल्प के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा इन जगहों का चयन किया जाना। प्रदेशवासियों के लिए खुशी का विषय है। जिसके लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के 3 करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत का सहृदय आभार व्यक्त किया है।
लोक संस्कृति
नुआखाई और ऋषि पंचमी का सांस्कृतिक महत्व
ॠषि पंचमी को मनाया जाने वाला त्योहार नुआखाई ओडिशा और छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व नई फसल के स्वागत के साथ-साथ भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक माध्यम है। नुआखाई का उत्सव ग्रामीण समाज के बीच सामाजिक एकता और संस्कृति का प्रतीक है। इसके साथ ऋषि पंचमी महिलाओं के लिए आत्मशुद्धि और प्रायश्चित का पर्व है। सप्तऋषियों की पूजा के माध्यम से यह पर्व नारी शक्ति के आध्यात्मिक और सामाजिक उत्थान का प्रतीक है।
धर्म-अध्यात्म
वैदिक काल से राष्ट्रीय जनचेतना तक की यात्रा : गणेशोत्सव विशेष
आदिकाल से गणेश की स्तुति के अलग अलग प्रमाण मिले हैं। इनकी कथा भिन्न-भिन्न है। सतयुग में सिंहासन आरूढ़ विनायक के स्वरूप में पूजा गया जिनकी दस भुजा थी परन्तु मुख तो हाथी का ही था। त्रेतायुग में गणेश मयूरारूढ़, मयूरेश्वर के नाम से विख्यात थे जिनकी छह भुजा थी। द्वापर में इनका वाहन भूषकराज था तब इनकी चार भुजाएं थी। कलि के अंत में ये धुम्रकेत के नाम से अश्व में सवार होंगे इनका वर्ण भी धुम्र होगा।
विश्व वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में जो बाइडेन ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा पर जताई चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ की गई हालिया बातचीत में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जताई है। व्हाइट हाउस ने बताया कि बाइडेन और मोदी ने बांग्लादेश में स्थिति पर साझा चिंता व्यक्त की और वहां के लोकतांत्रिक संस्थानों की सुरक्षा पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बातचीत में सामान्य स्थिति की बहाली और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
साहित्य
पुस्तक -चर्चा आँसू ल पी थे महतारी ; एकांत श्रीवास्तव का कविता -संग्रह ‘अँजोर
छत्तीसगढ़ी नई कविताओं के हिंदी अनुवाद सहित एकांत श्रीवास्तव का नया कविता संग्रह ‘अँजोर’ कविता की दुनिया में नई रौशनी लेकर आया है। इस संग्रह में 42 छत्तीसगढ़ी कविताओं के साथ उनके हिंदी अनुवाद भी दिए गए हैं। कविताओं में छत्तीसगढ़ के गाँवों और लोकजीवन की सोंधी महक महसूस की जा सकती है। संग्रह को कवि ने त्रिलोचन की कृति ‘अमोला’, छत्तीसगढ़ की मिट्टी कन्हार, और कोरोना काल में खोए प्रियजनों को समर्पित किया है। संग्रह में ‘पियास’ जैसी कविताएँ जीवन और समाज के गहरे मर्म को छूती हैं, जो अपनी माटी से जुड़ी भावुकता और संवेदनशीलता का परिचय देती हैं।
विविध
ॠतुओं के अनुसार भोजन करें और स्वस्थ रहें
हमारे पूर्वज स्वस्थ रहा करते थे एवं प्रसन्नता से अपनी पूरी उम्र जी कर जाते थे। आज व्याधियों के कारण अकाल मृत्यू का प्रतिशत बढ गया है। हम तीस चालिस बरस पीछे का हमारा जीवन देखें तो हम हमेशा ॠतु में होने वाली उपज का ही सेवन करते थे। भारत में वर्षा, शीत एवं ग्रीष्म तीन प्रमुख ॠतुएं होती हैं। वर्षाकाल में हरी सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता था। ग्रीष्म ॠतु में ही वर्षाकाल के भोजन की तैयारी कर ली जाती थी।