इतिहास के आइने में बेलसंड-सीतामढ़ी

सीतामढ़ी का महत्व रामायण की कथा के अनुसार सही ढंग से समझा जा सकता है। राजा जनक सीतामढ़ी के पुनौरा और उर्विजा कुंड क्षेत्र में अनावृष्टि को रोकने हेतु हल चलाने, कृषि कर्म का उद्घाटन करने आये थे। इसी-के दौरान सीता जी प्राप्त हुई। इसी क्षेत्र में हलेश्वर स्थान मंडल है, जहाँ कृषि कर्म के उपरान्त हल रखा गया था। सीता जी की स्मृति से ही जुड़ा एक स्थान पंथपाकड़ है, जहाँ पर विवाह उपरान्त आयोध्या जाते हुये सीता जी की डोली रखी गयी थी,

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रतियावन की चेली पार्वती आइना दिखाती है समाज को : अनुराग चतुर्वेदी

एक मासुम बच्चे से शुरू हुई यह संघर्ष यात्रा दारूण कथा बन गई मात्र विधाता द्वारा रचित एक अनगढ़ कृति बनने पर, जिस पर की किसी का सर्वथा कोई वश नहीं।

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कहानी का किन्नर समाज के प्रति बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा : मुकेश पाण्डेय “चंदन”

रतियावन की चेली अपनी तमाम मुश्किलों और परेशानियों के बावजूद समाज के लोगों के लिए हर समय अच्छा ही सोचती है उसके मन से सदा उनके लिए दुआएं और आशीर्वाद ही निकलता है

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“रतियावन की चेली” कहानी समूचे समाज को झिंझोड‌कर रख देती है : डॉ मीनाक्षी स्वामी

वह समझ नहीं पाती है कि मोहल्ले की महिलाएं विभिन्न अवसरों पर उसे नए कपड़े, चूड़ी पाटला आदि क्यों देती हैं। रतियावन नाम की किन्नर उसकी वास्तविकता से अवगत कराती है।

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बस्तर की माटी से जुड़ा कवि: डॉ राजाराम त्रिपाठी

भाषा की अन्य विधाओं की तरह कविता भी जगत को समझने का एक शक्तिशाली उपक्रम हैं, गद्य की अपेक्षा काव्य

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सफ़र एक डोंगी में डगमग – लेखक – डॉ राकेश तिवारी

पुस्तक टिप्पणी : घुमक्कड़ मनुष्य की शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक क्षमता की कोई सीमा नहीं। ये तीनों अदम्य इच्छा से

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