नया साल मनायें लेकिन सावधानी से

नया साल आने वाला है, पूरा देश उत्सव मनायेगा। महानगरों में सभी बार, होटल रेस्टोरेंट बुक हो चुके हैं। पहाड़ों पर जाने के लिये भी कतारें लग गईं हैं। उत्सव मनाएँ लेकिन सावधानी बरतें। पिछले साल अकेली दिल्ली में हत्या, बलात्कार आदि के 19 बड़े अपराध घटे थे। कांजीवली में तो एक बेटी को 14 किलोमीटर तक घसीटा था।

वर्ष 2023 का समापन की घड़ी आ गई और 2024 की झलक दिखने लगी। दुनियाँ के साथ भारत में भी नववर्ष के स्वागत की तैयारी हो रही है। चारों ओर ये नजारे दिख रहे हैं। मीडिया में नववर्ष तैयारी की खबरें आने लगीं। तैयारी होटल, बार रेस्टोरेंट आदि में बहुत अधिक है। अंग्रेज ठंडे देश के रहने वाले थे। वे क्रिसमस की इन छुट्टियों में मंसूरी नैनीताल आदि ठंडे पहाड़ों पर जाया करते थे।

अंग्रेज भले चले गये पर इन छुट्टियों में पहाड़ों पर जाने की परंपरा छोड़ गये। पहाड़ों के सारे होटल बुक हो चुके हैं रास्ते में पाँच-पाँच किलोमीटर के जाम लग गये है। संभावना है कि सैकड़ों परिवारों का नया साल रोड जाम में मनेगा और हजारों लाखों लोग अपने ही नगर के होटलों में नया साल मनाने की तैयारी कर रहे हैं। महानगरों में होटल की बुकिंग ही नहीं कमरों की बुकिंग भी हो गई है।

अब यह प्रश्न तो पीछे छूट गया है कि भारतीय परंपरा में नया साल कब आता है और उसे कैसे मनाते हैं। हमारी शासन व्यवस्था ही नहीं हमारा समाज जीवन भी इस परंपरा में ढल गया है जिसमें नया साल एक जनवरी से आरंभ होता है। इसी की तिथियों के अनुरूप सभी कार्य निर्धारित होते हैं। बाकी सब तो दूर अब तो जन्म पत्रिकाएँ भी इस अंग्रेजी वर्ष के दिनांक से बनती हैं।

कुण्डली दिखाने के लिये भी अंग्रेजी दिनांक दी जाती है। अब पूरा देश इस अंग्रेजी नववर्ष का स्वागत करने आतुर है। इस नये साल की शुरुआत प्रातःकालीन सूर्योदय से नहीं होती। आधी रात से होती है। नये साल का उत्सव भी आधी रात को मनाया जाता है। उत्सव में दो बातें विशेष होतीं हैं। एक तो यह उत्सव बिना शराब पार्टी के पूरा नहीं होता और दूसरा अधिकांश आयोजनों में स्त्रियों के साथ पुरुष और पुरुषों के साथ स्त्रियाँ अवश्य होतीं हैं।

नववर्ष उत्सव में शराब के साथ स्त्री पुरुष साथ हों तो रौनक बढ़ती है, उमंग बढ़ती है। कुछ नववर्ष पार्टियों में परिवार और पारिवारिक मित्र भी साथ होते हैं। लेकिन कुछ जोड़े ऐसे भी होते हैं जो पति पत्नि नहीं, “मित्र” होते हैं। इनमें अधिकांश वे युवा होते हैं जो पढ़ाई या जाब के लिये घरों से बहुत दूर रहते हैं।

पिछले साल नववर्ष की रात जो घटनाएँ घटीं थीं वह इसी प्रकार के समूहों के बीच घटीं थीं। इनमें हत्या, प्राण घातक मारपीट, बलात्कार, बलात्कार का प्रयास और बेहद घटिया छेड़छाड़ से भरीं थीं। वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के मध्य रात्रि 10 बजे से 2-30 बजे के बीच केवल साढ़े चार घंटे में देश की राजधानी दिल्ली में कुल चौतींस बड़े अपराध घटे थे। जिसमें उन्नीस बहुत गंभीर थे। इनमें चार मर्डर और बारह बलात्कार एवं बलात्कार का प्रयास थे।

यदि इसमें मुम्बई, बंगलूर, हैदराबाद, चैन्नई आदि 17 महानगरों के आँकड़े जोड़ें तो बड़े अपराधों की यह संख्या सौ से अधिक होती है। इनमें कुल नौ हत्याएँ हुईं थीं। बलात्कार और बलात्कार के प्रयास भी बत्तीस थे। दिल्ली में एक बेटी को लगभग चौदह किलोमीटर घसीटा गया था। यह घटना सुल्तानपुरी इलाके में घटी थी। वह 20 अंजलि थी। उसकी हड्डियां घिस चुकी थीं। शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। दिल दहला देने वाली इस घटना का रहस्य आज तक नहीं सुलझा।

नया साल मनाकर नशे में धुत्त युवकों का कहना था कि यह एक्सीडेंट था। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का मानना था लड़की को उलझाकर घसीटा गया था। अब सच जो हो पर इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। यह घटना मीडिया की सुर्खियाँ में आई थी इसलिए अब तक सबके ध्यान में है लेकिन बाकी सब घटनाएँ एक दिन से आगे न बढ़ सकीं थीं।

उन पीड़ितों और पीड़िताओं के नाम तक कोई नहीं जानता। दिल्ली में नववर्ष की रात जिन चार युवाओं की हत्या और एक्सीडेंट से मौत हुई उनमें एक तो अपने माता पिता की इकलौती संतान था और जो बेटियाँ उत्साह से नववर्ष की पार्टी मनाने गईं थीं लेकिन बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का शिकार हुईं। उनकी मनोदशा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वे सभी पीड़ित और उनके परिवार ये दर्द और ये घाव जीवन भर नहीं भूलेंगे।

अपराध के ये आकड़े पहले नहीं हैं। हर साल ऐसी घटनाएँ घटतीं है। समय की यात्रा में इनके आँकड़े कम होने के बजाये बढ़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि नववर्ष का उत्साह विवेक को शून्य कर देता है जिससे पिछले साल की घटनाओं से कोई सबक नहीं लेता और उमंग के साथ तैयारियाँ आरंभ हो जातीं हैं। इस साल भी हो रहीं हैं।

इस वर्ष भी नववर्ष उत्सव तैयारी के जो समाचार अब तक आ रहे हैं वे पिछले वर्ष से बहुत अलग नहीं है। महानगरों के अधिकांश होटल बार और रेस्टोरेंट बुक हो चुके हैं। हिमाचल और उत्तरांचल आदि प्रदेशों के ठंडे स्थानों की बुकिंग की भी यही स्थिति है। रास्तों पर जाम लगा है। कहीं कहीं तो यह जाम पाँच किलोमीटर से ज्यादा है। यह ठीक है कि कुछ लोग तो 31 दिसम्बर तक अपने होटलों पहुँच जाँयेगे पर इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि सैकड़ों परिवारों का नया साल जाम में ही मनेगा।

परिवारों का नया साल रास्ते में मने तो केवल समय और धन का ही नुकसान होता है। पर जिन बेटे बेटियों का जीवन और मान संकट में पड़ता है उनकी क्षति की भरपाई कैसे होगी। इसलिए यह आवश्यक है कि युवक युवतियाँ यदि अपने मित्रों के साथ नया साल मनाने पार्टियों में जा रहे हैं तो सावधानी बरते। सावधानी हटी दुर्घटना घटी….

आलेख

रमेश शर्मा भोपाल

वरिष्ठ पत्रकार