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लेखक का लेखन कब मरता है ?

जब कलम किराये पर चढ़ जाती है, तो लेखन कमजोर पड़ जाता है। लेखक की कलम को जब और कहीं से मार्गदर्शन मिलता है, तो वे धीरे-धीरे लेखक मरने लगता हैं। उनकी आत्मा की प्रखरता और तेजस्विता समाप्त हो जाती है। शब्दों की शक्ति कमजोर हो जाती है, और विचारों में गहराई नहीं रह जाती।

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किसने कहा था? मनकही

किसी भी परिवार, समाज और राष्ट्र का कल्याण कर्मण्य मनुष्यों के द्वारा ही हो सकता है। इनके कार्य ही आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बन कर्मवीर बनने का आदर्श स्थापित करते हैं। अतः प्रत्येक इंसान को कर्मशील रहना चाहिए। महाभारत में श्री कृष्ण ने कहा है ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते।’

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साक्षरता कार्यक्रम का महत्व एवं विकास

साक्षरता शब्द साक्षर से बना है जिसका अर्थ है अक्षर पहचानने, क ,ख, ग और मात्राओं को समझने लिखने-पढ़ने में

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मानव जीवन यात्रा में भाग्य और कर्म की भूमिका : मनकही

भाग्य और कर्म  के विषय सदैव यही कहा जाता है कि भाग्य के लेख को मिटाया नही जा सकता। जो

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सुगन्ध का जीवन में महत्व एवं प्रभाव : मनकही

माटी की महक, फ़ूलों की सुगंध से लेकर रोटी की सौंधी खुश्बू का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। सम्पूर्ण प्रकृति

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अपने मरे ही स्वर्ग दर्शन : मनकही

मन पछितहिएँ अवसर बीते अर्थात समय रहते कुछ नहीं किया दूसरे के भरोसे बैठे रहे और आज पछताने के सिवाय कुछ नहीं मिला। तभी तो कबीर दास जी ने कहा है–

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