मेहनत के हक़दार

मेहनत वालों की दुनिया है, मेहनत से सब मिलता है। सूरज उगता है हम से तो, सूरज हम से ढलता है। जहाँ बहेगा खून पसीना, उसी जगह फल मिलता है। इसी बाहुबल से उगता है, उन्नत के हक़दार हैं हम।।

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डॉ. निरुपमा सरमा अउ उंकर बाल कविता

लइकन मन ल सुन्दर संस्कार देहे अउ सिक्छीत करे बर सिसुगीत अउ बालगीत सबले सरल अउ आसान साधन आय। सिसुगीत

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संकेत साहित्य समिति की वासंती काव्य गोष्ठी संपन्न

केत साहित्य समिति द्वारा वृंदावन हॉल रायपुर में कल शनिवार को भाषाविद्, संगीतज्ञ एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.चित्तरंजन कर के मुख्य आतिथ्य, वरिष्ठ व्यंग्यकार गिरीश पंकज की अध्यक्षता और रामेश्वर शर्मा, सुरेंद्र रावल ,लतिका भावे तथा संजीव ठाकुर के विशिष्ट आतिथ्य में वासंती काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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