मेहनत के हक़दार

मेहनत सबकुछ मेहनतकश की, मेहनत के हक़दार हैं हम।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् के जैसे, ज़न्नत के हक़दार हैं हम।।

मेहनत वालों की दुनिया है, मेहनत से सब मिलता है।
सूरज उगता है हम से तो, सूरज हम से ढलता है।
जहाँ बहेगा खून पसीना, उसी जगह फल मिलता है।
इसी बाहुबल से उगता है, उन्नत के हक़दार हैं हम।।

जग विकास में हम हैं आगे, हमसे ही बल मिलता है।
हाथ से हाथ मिलाने से ही, सब को संबल मिलता है।
बाँट के खाते हैं सब हम तो, सुख का अनुभव मिलता है।
इसी हाथ की बरक़त है ये, बरक़त के हक़दार हैं हम।।

रामेश्वर शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार, रायपुर, छत्तीसगढ़

 

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