कोलावरी कोलावरी डी “राग बैंड”

प्रकृति में संगीत फ़ैला हुआ है, झरनों की कल कल ध्वनि से लेकर पक्षियों की मधुर चहचहाहट तक, समुद्र की दहाड़ से लेकर भंवरे के गुंजन तक प्रकृति के कण कण में संगीत समाया है। संगीत का अर्थ ही लयबद्धता है। जिस तरह प्रकृति में लय बद्धता है उसी तरह मानव जीवन भी लय बद्ध होने से सुखद हो जाता है। ढोलक की थाप पर कदम नृत्य के लिए उठने लगते हैं तो बंसरी की मधुर तान पर मन शांत हो ध्यान की ओर अग्रसर होता है। संगीत में इतनी ताकत है कि चरवाहे की बंसी की तान को पशु भी सुनकर आनंदित हो उठते हैं और डार से बाहर नहीं जाते। संगीत का मानव के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है।
शायद ही कोई अभागा हो इस संसार में जिसे संगीत से प्रेम न हो और वह मन मस्तिष्क की थकान उतारने के लिए संगीत की शरण नहीं लेता हो। प्रकृति से ताल मिलाने के लिए संगीत वाद्यों का जन्म हुआ। मानव ने वाद्यों के माध्यम से प्रकृति की ताल से ताल मिलाना सीख लिया। चाहे परम्परागत शास्त्रिय संगीत हो या वेस्टर्न म्यूजिक, सबके चाहने वाले हैं। ऐसे ही छत्तीसगढ के युवा कलाकारों से आपका परिचय करवाता हूँ। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, जिनमें प्रतिभा है वे अपना रास्ता बना लेते हैं। भीड़ में उनकी पहचान अलग होती है। सफ़र के दौरान मेरी मुलाकात जिन लोगों से होती रहती है, उनके बारे में जानने की जिज्ञासा बनी रहती है निरंतर।
ऐसी एक मुलाकात रायपुर के गवर्मेन्ट इंजीनियरिंग कॉलेज प्रतिभावान के छात्रों से हुई। इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान अनुराग, अजय, सोम ,हर्षित, अपूर्व, समीर और लक्की मिलते हैं। इन सब का शौक वेस्टर्न म्युजिक में है। समान रुचि के होने के कारण इन्होने अपने अध्ययन काल 2008 में एक बैंड की स्थापना की और उसका नाम “राग बैंड” रखा। इसका प्रथम प्रदर्शन इंजीनियरिंग कॉलेज के वार्षिकोत्सव के दौरान किया। उसके बाद इन्होने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इंजीनियरिंग की पढाई करते हुए इन्होने शौकिया तौर पर शुरु किए “राग बैंड” को व्यावसायिक बनाया और बैंड को लगातार मिलती शोहरत के कारण इन्होने व्यावसायिक तौर पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
छत्तीसगढ के कार्पोरेट सेक्टर के लोग इनके बैंड को विशेष अवसरों पर प्रदर्शन के बुलाने लगे। कार्पोरेट सेक्टर में इनका बैंड बहुत पसंद किया जाने लगा। इससे इनकी कमाई बढने लगी और फ़िर बैंड में ही रम गए। रेड़ियो माय एफ़ एम, रंगीला, मिर्ची इनकी सेवाएं निरंतर लेने लगा। ये विभिन्न क्लबों के कार्यक्रमों में भी गाने लगे। 2010 में इंजीनियरिंग कॉलेज से पास आऊट होने के बाद इन्होने स्वयं का रिकार्डिंग स्टुडियों भी प्रारंभ कर दिया। लगभग 250 छत्तीसगढी लोकगीतों एवं गानों को डीजे इफ़ेक्ट देने का काम भी इन्होने किया। अब वे गाने डीजे पर गाँव गाँव में अपनी धूम मचा रहे हैं।
इन्होने छत्तीसगढी लोकगीतों में वेस्टर्न धुन की छौंक लगाई और उसे प्रचारित प्रसारित करने का कार्य किया। कोलावरी डी का छत्तीसगढी संस्करण तैयार किया। बैंड लीडर अनुराग कहता है कि – जब कोलावरी डी के गुजराती और पंजाबी वीडियो आ गए तो हमने भी छत्तीसगढी कोलावरी बनाया, कोलावरी डी की धुन में “लाईफ़ लाईक छत्तीसगढी छत्तीसगढी जी” तैयार किया। जिसे बहुत ही अधिक प्रतिसाद मिला। हमारे द्वारा गाए गए छत्तीसगढी कोलावरी जी को लोगो ने बहुत पसंद किया। हम छत्तीसगढी के लोकगीतों के वेस्टर्न फ़्युजन के साथ और भी वीडियो बनाएगें। हमारी पहचान छत्तीसगढी है, हमारी अस्मिता छत्तीसगढी है और हमें छत्तीसगढी के लिए ही आगे काम करना है।”
अनुराग कहता जाता है और मैं सुनता जाता हूँ, थोड़ा शर्मीला सा नौजवान है, लेकिन अपना काम मुस्तैदी से और मनोयोग से करता है। संगीत के लिए साधना की आवश्यकता होती है। जिसने साथ लिया उसके करोड़ों चाहने वाले हो जाते हैं। मुझे इस नौजवान की प्रतिबद्धता पर गर्व होता है। आज तो माँ बाप अपने बच्चों को लाखों रुपए फ़ीस देकर इंजीनियर बनाते हैं और ये बने बनाए इंजीनियर म्यूजिक बैंड चला रहे है। अब बात निकल पड़ी है कि बच्चों पर अपना आदेश थोपने की बजाए उनसे पूछा जाए कि वे क्या करना चाहते हैं? जो वे कैरियर के तौर पर अपनाना चाहते हैं उन्हे वही कैरियर बनाने देना चाहिए। जहाँ वे कुशलता से मन लगा कर रोजगार परक कार्य कर सकें।
कालेज के दिनों से लेकर राग बैंड के सभी साथी आज तक साथ में ही कार्य करते हैं। सबने अलग-अलग काम संभाल लिया है, अनुराज मार्केटिंग, कम्पोजिंग एवं प्रोडक्शन, सोम म्युजिक अरेंजिंग, रिदम अरेंजिंग का कार्य लक्की और समीर तथा नेट मार्केटिंग का कार्य अजय करते हैं। मैं इनसे मिलने जब स्टुडियो पहुचा तो सभी लोग वहाँ पर थे। इन्होने अपना स्टुडियो और सारे सिस्टम दिखाए। जब मैने इनका वीडियो यू ट्यूब पर देखा तो अच्छा लगा। जबकि मैं 1972 के पहले के ही गीत सुनता हूँ उसके बाद के गीत मुझे पसंद ही नहीं आते। इनका काम मुझे इनके स्टुडियो तक खींच कर ले गया। मतलब काम में दम है। ये अपने काम के दम पर ही माता-पिता और छत्तीसगढ का नाम रोशन कर रहे हैं। “राग बैंड” की धुन दिगदिगांतर में गुंजे तथा युवाओं के लिए प्रेरणा कार्य करे।
ललित शर्मा
छत्तीसगढी कोलावरी डी सुनने के लिए यहाँ पर जाएं

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