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छत्तीसगढ़ में औद्योगिक नियमों में बड़ा बदलाव, 15% भूमि का गैर-औद्योगिक उपयोग मंजूर, श्रमिकों के लिए बनेगा आवास

रायपुर, 21 अप्रैल 2025 — मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के औद्योगिक विकास और श्रमिक कल्याण को नई दिशा देने के लिए छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2015 में अहम संशोधन किया है। यह संशोधन 27 फरवरी 2025 को अधिसूचित किया गया था और अब इसे राज्य की उद्योग अनुकूल नीति, निवेश प्रोत्साहन, और स्थानीय रोजगार सृजन की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

15 प्रतिशत भूमि का नियमितीकरण अब संभव

संशोधन के तहत, औद्योगिक इकाइयों को अब पट्टे पर दी गई कुल भूमि का 15% हिस्सा गैर-औद्योगिक उपयोग—जैसे कि प्रशासनिक भवन, कैंटीन, कर्मचारी सुविधा केंद्र—के लिए नियमित करने की अनुमति दी गई है। इससे पहले यह प्रक्रिया जटिल थी और उद्यमियों को परिचालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अब यह बदलाव उद्योगों को सुविधाजनक ढांचा, लचीला भूमि उपयोग, और कम परिचालन लागत उपलब्ध कराएगा।

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औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक आवास निर्माण की अनुमति

संशोधन का दूसरा प्रमुख भाग औद्योगिक श्रमिकों के लिए आवास निर्माण की अनुमति है। इससे श्रमिकों को कार्यस्थल के समीप सुरक्षित, सुविधाजनक आवास मिल सकेगा, जिससे उनकी यात्रा लागत में कमी, समय की बचत, और कार्य क्षमता में वृद्धि होगी।

संशोधन के व्यापक लाभ

  • उद्योगों को लचीलापन, अपने परिसर में प्रशिक्षण केंद्र, गोदाम, और कल्याण केंद्र बनाने की सुविधा।

  • श्रमिकों को स्थायी आवास, जिससे उनका मनोबल, स्वास्थ्य, और काम में स्थायित्व बढ़ेगा।

  • स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

  • शहरी क्षेत्रों पर जनसंख्या दबाव में कमी, क्योंकि श्रमिक अब औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास ही बस सकेंगे।

उद्योगजगत की प्रतिक्रिया

रायपुर के उद्योगपति राजेश अग्रवाल ने संशोधन की सराहना करते हुए कहा, “15 प्रतिशत भूमि के नियमितीकरण से हम अपने कर्मचारियों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा सकेंगे। साथ ही, श्रमिक आवास की अनुमति से कार्यबल का मनोबल बढ़ेगा और उत्पादकता में भी इजाफा होगा।”

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मुख्यमंत्री का विजन

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस संशोधन को अपने “विकसित छत्तीसगढ़” के विजन से जोड़ते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य उद्योगों को बढ़ावा देना और साथ ही श्रमिकों का कल्याण सुनिश्चित करना है। यह संशोधन दोनों उद्देश्यों को एक साथ आगे ले जाएगा।”

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