आत्मा की पुकार और अपने समय की खबर
किसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को वाणी दे कर ,भारत माता और छत्तीसगढ़ महतारी की पीड़ा को स्वर देकर,
Read moreकिसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को वाणी दे कर ,भारत माता और छत्तीसगढ़ महतारी की पीड़ा को स्वर देकर,
Read moreवो लकड़ियाँ कहाँ हैं? जिन्हे सकेला था बुखारी के लिए अब के ठंड में देती गरमाहट तुम्हारे सानिध्य सी बुखारी
Read moreअंग्रेजों से सत्ता लिए हमको 63 वर्ष पूर्ण हो गए, हम आजादी की 64 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। जिन
Read moreदे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तू ने कर दिया कमाल,” गाना पूरे जोर से
Read more“साहब सिर्फ़ एक बर्थ दे दीजिए,छोटे बच्चे साथ में हैं,मुंबई तक जाना है, प्लीज”- एक यात्री काले कोट वाले साहब
Read moreलोहे का पाईप, चद्दर, एंगल, गिरारी, पुल्ली, सफ्टिंग, नट-बोल्ट, स्क्रू इकट्ठे रहा हूँ, अब मैंने जो माडल कागज पे खींचा
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