छत्तीसगढ़ को प्लास्टिक कैरी बैग मुक्त क्षेत्र घोषित करने का निर्णय

रायपुर, 01 नवम्बर 2014/ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने सम्पूर्ण राज्य को प्लास्टिक कैरी बैग मुक्त क्षेत्र घोषित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय एक जनवरी 2015 से लागू किया जाएगा। इस आशय की अधिसूचना का प्रारूप राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से जारी कर दिया है। यह अधिसूचना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 (1986 का 29) की धारा-5 और इस अधिनियम के नियम-4 के प्रावधानों के तहत और केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की 10 फरवरी 1988 को जारी अधिसूचना में प्राप्त अधिकारों के तहत जारी की गयी है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि अधिसूचना का प्रारूप दो दिन पहले 30 अक्टूबर को जारी किया गया है। इसे छत्तीसगढ़ सरकार के राजपत्र (असाधारण) में 30 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया है।

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राज्य सरकार ने अधिसूचना में अपने इस निर्णय के बारे में आम जनता से आपत्ति और सुझाव तीस दिनों के भीतर भेजने का आग्रह किया है। आम नागरिक या इस निर्णय से प्रभावित होने की संभावना वाले व्यक्ति इस बारे में कोई भी आपत्ति या सुझाव प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, कक्ष क्रमांक एस-3-23, मंत्रालय (महानदी भवन), केपिटल काॅम्पलेक्स, नया रायपुर में कार्यालयीन समय में प्रस्तुत कर सकते हैं। प्राप्त आपत्तियों और सुझावों पर राज्य शासन द्वारा विचार किया जाएगा। अधिसूचना के प्रारूप में कहा गया है कि प्लास्टिक कैरी बैग, अल्पकालिक और दीर्घकालिक पर्यावरणीय नुकसान करते हैं और स्वास्थ्य पर भी संकट उत्पन्न करते हैं।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48-क, अन्य बातों के साथ-साथ यह भी कहता है कि राज्य द्वारा पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिए प्रयास किया जाएगा। अतः छत्तीसगढ़ सरकार की यह राय है कि प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग गंभीर नुकसान पहंुचाता है और पर्यावरण तथा मानव के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। यह देखा गया है कि प्लास्टिक कैरी बैग गटर और नालियों को भी अवरूद्ध करते हैं। इसके फलस्वरूप गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसे ध्यान में रखकर इन समस्याओं को रोकने की दृष्टि से राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ प्रदेश के सम्पूर्ण क्षेत्र को प्लास्टिक कैरी बैग मुक्त क्षेत्र के रूप में घोषित करने का निर्णय लिया है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 (1986 का 29) की धारा-5 और इस अधिनियम के नियम-4 के प्रावधानों के तहत और केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की 10 फरवरी 1988 को जारी अधिसूचना में प्राप्त अधिकारों के तहत छत्तीसगढ़ सरकार यह निर्देश देती है कि कोई भी व्यक्ति, जिसमें कोई दुकानदार, विक्रेता, थोक विक्रेता या फुटकर विक्रेता, व्यापारी, फेरी लगाने वाले या रेहड़ी वाले आदि शामिल हैं, सामग्री प्रदान करने के लिए प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग नहीं करेगा। राज्य सरकार यह भी निर्देश देती है कि कोई भी व्यक्ति एक जनवरी 2015 से छत्तीसगढ़ राज्य में प्लास्टिक कैरी बैग का विनिर्माण, भण्डारण, आयात, विक्रय या परिवहन नहीं करेगा। अधिसूचना में यह स्पष्टीकरण भी दिया गया है कि अधिसूचना के प्रयोजन के लिए शब्द ‘प्लास्टिक’ और ‘कैरी बैग’ का वही अर्थ होगा, जैसा कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (प्रबंधन एवं प्रहस्तन) नियम-2011 के तहत परिभाषित है। खाद्य सामग्री दूध और नर्सरी के उन्नत पौधों की पैकेजिंग के प्रयुक्त आधान (कन्टेनर्स), कैरी बैग नहीं हैं। राज्य सरकार यह भी निर्देश देती है कि उसके इन निर्देशों को जिला कलेक्टर, वाणिज्यिक-कर विभाग के अधिकारी, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी और राज्य के नगरीय निकायों के आयुक्त/मुख्य नगर पालिका अधिकारी क्रियान्वित करेंगे। ये अधिकारी केन्द्रीय पर्यावरण और मंत्रालय की 16 अपै्रल 1987 की अधिसूचना के तहत उन्हें प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-19 के तहत परिवाद भी प्रस्तुत कर सकेंगे।