श्रीमती रेखा पाण्डेय

futuredमनकही

हंसा चल रे अपने देश : मनकही

मनुष्य जैसे यात्रा से पूर्व सारी चीजों को समेटना प्रारंभ कर देता है। वैसे ही जीवन यात्रा समाप्त होने से पूर्व जीवन मे जो मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, ईमानदारी, सभी कुछ सहेजने का  समय आ जाता है। मन में एक साध रहती है  किसी के साथ अन्याय न हो। ईमानदारी से जितना बन पड़े उतना काम तो कर लें क्योंकि दो दिन का जग मेला, अब चला चली का बेरा। मनुष्य अच्छे कर्म के द्वारा ही आने वाली पीढ़ियों के समक्ष अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत कर सदैव याद किया जाता है।

Read More
futuredमनकही

पढ़ेगा भारत-गढ़ेगा भारत-बढ़ेगा भारत : ऑनलाइन शिक्षा

मानव जीवन में भौतिक, आध्यत्मिक उन्नति के लिए शिक्षा अति आवश्यक है। शिक्षा वह ज्योति पुंज है जिसके  ज्ञानरूपी प्रकाश से मनुष्य का जीवन आलोकित होता है। शिक्षा व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण के साथ संस्कृति का संरक्षण एवं समाज कल्याण भी करती है|

Read More
futuredमनकही

दृढ संकल्प और आत्मनियंत्रण द्वारा कोरोना से बचाव : मनकही

वैश्विक महामारी  कोरोना से जहां विश्व जूझ रहा है वहीं इसका सामना करने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय सोशल डिस्टेंसी को

Read More