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पढ़ेगा भारत-गढ़ेगा भारत-बढ़ेगा भारत : ऑनलाइन शिक्षा

मानव जीवन में भौतिक, आध्यत्मिक उन्नति के लिए शिक्षा अति आवश्यक है। शिक्षा वह ज्योति पुंज है जिसके  ज्ञानरूपी प्रकाश से मनुष्य का जीवन आलोकित होता है। शिक्षा व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण के साथ संस्कृति का संरक्षण एवं समाज कल्याण भी करती है| प्राचीनकाल में वैदिकयुग से ही शिक्षा की आवश्यकता और महत्व को समझते हुए गुरुकुल और आश्रमों को शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित कर औपचारिक शिक्षा प्रदान की जाने लगी।

समय परिस्थितियां बदली, विकास के साथ-साथ शिक्षा का स्वरुप बदला, विद्यालयों महाविद्यालयों की स्थापना हुई। एक समय था जब बच्चा अपने घर से संस्कारित हो छह वर्ष की आयु में स्वथ्य्य शरीर व उन्मुक्त मस्तिष्क के साथ विद्यालय की कक्षा पहली में प्रवेश करता था और पुस्तकीय ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी बड़ी सहजता से ग्रहण कर लेता था।शिक्षा का  माध्यम चाहे जो सही शिक्षा और ज्ञान सदैव लाभप्रद होता है, जो जीवन संवारता है।

शिक्षा प्रणाली बदली बच्चे ढाई वर्ष की आयु में ही विद्यालय जाने लगे, पाठ्यक्रम में बहुत से विषयों को शामिल कर आधुनिक शिक्षा पद्धति का नया दौर चल पड़ा और शिक्षा में व्यावहारिक एवं तकनीकि शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाने लगा है। पाठ्यक्रम बच्चों की रूचि एवं क्षमता के अनुरूप तैयार किये गये ताकि कोई शिक्षा से वंचित न हो।

आज इन्टरनेट की दुनियां में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होने से बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ कंप्यूटर का ज्ञान अनिवार्य हो गया है। लेपटॉप, मोबाईल, टेबलेट से नेट के द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया जाने लगा है। हालाँकि कंप्यूटर युग की शिक्षा में सेमीनार–वेबिनार, पाठ्यक्रम प्रोजेक्ट, समय-सारिणी , परीक्षा तिथि, पालक- शिक्षक मीटिंग आदि विभिन्न सूचनाएं विद्यालय द्वारा पालकों को उनके मोबाईल में पहुंचाई जाती रही है परन्तु इसको प्राथमिकता नहीं दिया गया था।

वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से सारा विश्व जूझ रहा है, ऐसे में बच्चों को वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखते हुए शिक्षा देना बहुत चुनौती पूर्ण जिम्मेदारी है। इस विषम परिस्थिति में सरकारी एवं निजी विद्यालयों के सामने अध्ययन-अध्यापन की समस्या खड़ी हो गई है। जब तक इस कोरोना वाइरस की कोई वैक्सीन नहीं आ जाती और हम सुरक्षित नहीं हो जाते तथा समय अनुकूल नहीं हो जाता तब तक शिक्षा के वैकल्पिक मार्ग ऑनलाइन पढाई को अपनाना होगा क्योंकि समय के साथ बच्चों के भविष्य निर्माण में ऑनलाइन पढ़ाई ही सकारात्मक दिशा दिखाने में सक्षम है।

पूरा देश ऑनलाइन और वेबिनार के भरोसे चल रहा है जबकि देश में लॉक डाउन की स्थिति बनी हुई है। ऐसी स्थिति में क्रियाशील रहते हुए इस आधुनिक तकनीक का लाभ उठाने में ही बुद्धिमानी है क्योंकि अविष्कार संकट का सामना करने एवं समस्या के समाधान के लिए ही किये जाते हैं। इस तकनीक से विद्यार्थी और शिक्षक का डिजिटल सामना होता है और दोनों को बड़ी जिम्मेदारी और एकाग्रता के साथ अध्ययन-अध्यापन में स्वयं को केन्द्रित करना पड़ता है।

बड़े बच्चे तो कुछ समझदार होते हैं किन्तु छोटे बच्चों के साथ किसी बड़े और इस तकनीक को जानने, समझने वाले को पूरे समय जब तक पढाई चल रही हो, डिज़िटल क्लास में उपस्थित रहना होता है। ऑनलाइन पढाई में कक्षीय वातावरण तो नहीं प्राप्त होगा परन्तु ज्ञान की प्राप्ति अवश्य होगी।

लेपटॉप, मोबाईल, टेबलेट, कंप्यूटर द्वारा शिक्षा में इंटरनेट का होना आवश्यक है किन्तु मोबाईल में विडियो-ऑडियो द्वारा रिकार्डिंग कर, नोट्स और प्रश्न, परियोजना कार्य की पूरी रुपरेखा बना कर, उसकी फ़ोटो खीचकर व्हाट्स अप में भेज देने पर भी विद्यार्थी को शिक्षक का पूरा मार्गदर्शन प्राप्त होगा जिससे संकट काल में भी घर पर सुरक्षित रहते हुए अभिभावकों के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त कर सकता है। प्रतिकूल परिस्थितियों में ऑनलाइन पढ़ाई के मापदंडों के आधार पर मुख्य विषयों में ध्यान केन्द्रित करते हुए कक्षावार पाठ्यक्रम में बदलाव भी अति आवश्यक हो गया है।

शिक्षा, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से प्राप्त की जा सकती है। यह सत्य है की संकट काल सदैव नई सीख देकर जाता है। इस महामारी ने शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र की ओर गम्भीरता से सोचने के लिए बाध्य कर दिया है और वर्तमान में नई पीढ़ी के बच्चों और युवाओं के लिए अध्ययन–अध्यापन के तरीकों में समयानुसार परिवर्तन की आवश्यकता महसूस हुई। परिस्थितियां बदलती रहती हैं इसलिए निकट भविष्य में भी डिजीटल शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा प्रणाली में शामिल करते हुए पाठ्यक्रम निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि बच्चों को प्रारंभ से ही तकनीकी शिक्षा का ज्ञान हो।

कहा गया है “करत –करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान “ कुछ नया करने में कठिनाइयाँ आती हैं तो मार्ग भी प्रशस्त होता है। वर्तमान में बच्चों की ऑनलाइन पढाई शुरू हो चुकी है, जो उनके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। मोबाईल में बहुत से एप हैं जिनके द्वारा बच्चों की कक्षा व उम्र के अनुसार विभिन्न तरीकों से शिक्षा प्रदान की जा रही है जिससे उनमे आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। पूरा देश आत्मनिर्भरता की बात कर रहा है ऐसे में आत्मनिर्भरता का प्रत्यक्ष और बेहतर उदाहरण हमारे बच्चे ही हैं, जो छोटी उम्र में ही आत्मनिर्भर बन अपना भविष्य गढ़ रहे हैं, क्योंकि  “ पढ़ेगा भारत – गढ़ेगा भारत – बढ़ेगा भारत।”

आलेख

श्रीमती रेखा पाण्डेय (लिपि)
व्याख्याता हिन्दी
अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़

 

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