रामायण में पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति प्रेम : वाल्मीकि जयंती
महर्षि वाल्मीकि जयंती केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के गहरे संबंध का प्रतीक है। रामायण में पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता का अद्भुत दर्शन मिलता है।
Read Moreमहर्षि वाल्मीकि जयंती केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के गहरे संबंध का प्रतीक है। रामायण में पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता का अद्भुत दर्शन मिलता है।
Read Moreदारा सिंह: एक ऐसा नाम जो कुश्ती में अपराजेय बना, फिल्मों में अमर हुआ और रामायण में हनुमान बनकर हर दिल में बस गया—शक्ति, श्रद्धा और प्रेरणा की जीवंत मिसाल।
Read Moreग्रंथ मानव सभ्यता की बौद्धिक और सांस्कृतिक यात्रा की अमूल्य धरोहर हैं। जब मनुष्य ने अपनी भावनाओं, विचारों और ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता महसूस की, तब श्रुति से स्मृति के रुप में लेखन कला का विकास हुआ।
Read Moreराजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने अर्जुनी के नवधा रामायण कार्यक्रम में ‘राम आएंगे’ भजन गाकर श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया। उन्होंने भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना की और भक्ति संगीत से भक्तों को मंत्रमुग्ध किया। इस अवसर पर मंत्री व अन्य अतिथियों को सम्मानित भी किया गया।
Read Moreईस्वी सदी के आरम्भ में रचित सिलपट्टीकरम, जो तमिल साहित्य की पांच श्रेष्ठ कृतियों में से है, उसमे भी रामायण के अनेक सन्दर्भ मिलते हैं. लेखक ने इसमें राम को विष्णु से पहचान करते हुए लिखा है कि – भगवन विष्णु के पुण्य-चरण जिनसे उन्होंने त्रिविक्रम के रूप में ब्रह्माण्ड को नापा था, वे आज वन में लक्ष्मण के साथ चलते हुए रक्त-रंजित हो गए हैं.
Read Moreनागों की उपस्थिति एवं उनकी पूजा प्राचीन सभ्यताओं एवं संस्कृतियों महत्व स्थान रखती है। भले ही उनकों अलग-अलग रुपों या कारणों से पूजा जाता हो परन्तु वे मानव सभ्यताओं में विशेष स्थान रखते हुए वर्तमान में भी विशिष्ट बने हुए हैं।
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