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मानव जीवन यात्रा में भाग्य और कर्म की भूमिका : मनकही

भाग्य और कर्म  के विषय सदैव यही कहा जाता है कि भाग्य के लेख को मिटाया नही जा सकता। जो

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सुगन्ध का जीवन में महत्व एवं प्रभाव : मनकही

माटी की महक, फ़ूलों की सुगंध से लेकर रोटी की सौंधी खुश्बू का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। सम्पूर्ण प्रकृति

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अपने मरे ही स्वर्ग दर्शन : मनकही

मन पछितहिएँ अवसर बीते अर्थात समय रहते कुछ नहीं किया दूसरे के भरोसे बैठे रहे और आज पछताने के सिवाय कुछ नहीं मिला। तभी तो कबीर दास जी ने कहा है–

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जीवन और सुख-दुःख का आधार मन : मनकही

मन चंचल होता है, मन की गति अत्यधिक तीव्र होती है। जीवन में सुख-दुःख क्या है? मन के भाव ही

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सकारात्मकता ही जीवन का मूल मंत्र : मनकही

भौतिक सुख-सुविधाएं मनुष्य को तभी ख़ुशी देती हैं जब तन-मन स्वस्थ्य और जीवन सुरक्षित हो, परन्तु परिस्थितियां प्रतिकूल और प्राण

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हंसा चल रे अपने देश : मनकही

मनुष्य जैसे यात्रा से पूर्व सारी चीजों को समेटना प्रारंभ कर देता है। वैसे ही जीवन यात्रा समाप्त होने से पूर्व जीवन मे जो मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, ईमानदारी, सभी कुछ सहेजने का  समय आ जाता है। मन में एक साध रहती है  किसी के साथ अन्याय न हो। ईमानदारी से जितना बन पड़े उतना काम तो कर लें क्योंकि दो दिन का जग मेला, अब चला चली का बेरा। मनुष्य अच्छे कर्म के द्वारा ही आने वाली पीढ़ियों के समक्ष अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत कर सदैव याद किया जाता है।

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