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EDO छत्तीसगढ़ एवं सरयू साहित्य परिषद ने किया वृक्षारोपण

अर्जुनी, 21 जुलाई 2025/ अर्जुनी गांव स्थित शिव मंदिर परिसर में EDO CHHATTISGARH संस्था ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल की। संस्था ने आम, नीम, पीपल और बरगद जैसे छायादार और धार्मिक महत्व वाले पौधों का रोपण किया। यह कार्य केवल हरियाली बढ़ाने तक सीमित नहीं था, बल्कि समाज में पर्यावरणीय जागरूकता फैलाने का उद्देश्य भी इसमें निहित था।

स्थानीय सहभागिता और समस्याओं की पहचान

इस पौधारोपण के दौरान स्थानीय महिलाओं ने बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने टीम को बताया कि मंदिर परिसर से लगे तालाब के केवल एक तरफ ही जाली से घेराव है, जबकि दूसरी ओर से मवेशी बेरोक-टोक प्रवेश कर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा, पंचायत की ओर से पौधों की देखरेख की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण, पहले लगाए गए पौधे जीवित नहीं रह सके। इससे यह स्पष्ट हुआ कि पौधारोपण के साथ-साथ संरक्षण भी जरूरी है

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पंचायत और समाज की जिम्मेदारी

महिलाओं ने यह मांग की कि पंचायत प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और पौधों की सुरक्षा के लिए उचित घेराव और देखभाल की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने समाज के प्रत्येक नागरिक से भी अपील की कि हर व्यक्ति एक-एक पौधे की जिम्मेदारी ले, ताकि पर्यावरण संरक्षण एक जनआंदोलन का रूप ले सके।

बेल पौधे का शिव को अर्पण – धार्मिक भावना से जुड़ा संदेश

EDO छत्तीसगढ़ संस्था ने सरयू साहित्य परिषद के अभियान “बेल पौधे का रोपण, भोलेनाथ को अर्पण” से जुड़ते हुए, मंदिर परिसर में बेल का पौधा लगाकर भगवान शिव को समर्पित किया। इस अवसर पर संस्था ने श्रद्धालुओं से अपील की कि जैसे वे शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, वैसे ही अपने आसपास लगे पेड़ों में भी नियमित रूप से जल अर्पित करें। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि प्रकृति और भगवान दोनों की सेवा मानी जाएगी

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EDO छत्तीसगढ़ की भूमिका

EDO छत्तीसगढ़ संस्था लगातार पर्यावरण के प्रति जनजागरूकता फैलाने और लोगों को सक्रिय रूप से शामिल करने का कार्य कर रही है। संस्था का मानना है कि “पौधा लगाना पुण्य है, लेकिन उसकी देखभाल करना सबसे बड़ा धर्म”

इस कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश गया कि पौधारोपण एक सामाजिक और धार्मिक कर्तव्य है, और इसकी सफलता तभी संभव है जब प्रशासनिक सहयोग, सामाजिक भागीदारी और धार्मिक चेतना मिलकर कार्य करें। अर्जुनी में शिव मंदिर परिसर में किया गया यह प्रयास स्थानीय सहभागिता और जागरूकता का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकता है।

रुपेश वर्मा, अर्जुनी