एक कवि के निधन के 48 साल बाद हुआ उनकी प्रतिमा का अनावरण
पिथौरा, 22 जून 2025/ हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के सुमधुर कवि स्वर्गीय मधु धांधी के जन्मदिन पर कल 21 जून को उनकी प्रतिमा का अनावरण महासमुंद जिले में पिथौरा विकासखंड में स्थित उनके गृह ग्राम खुटेरी में किया गया। उनका जन्म 21 जून 1951 को ग्राम पिसीद (विकासखंड – कसडोल) में और निधन 3 अप्रैल 1977 को खुटेरी में हुआ था।
उनके जन्मदिन पर आयोजित प्रतिमा अनावरण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार, दैनिक हरिभूमि और टीवी समाचार चैनल आईएनएच न्यूज़ रायपुर के प्रधान सम्पादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी थे। अध्यक्षता महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने की। विशेष अतिथि के रूप में रायपुर से आए वरिष्ठ साहित्यकार और छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष जी. आर. राना, वरिष्ठ भाषाविज्ञानी डॉ. चित्तरंजन कर, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. धीरेन्द्र साव, पिथौरा के वरिष्ठ उपन्यासकार शिवशंकर पटनायक, साहित्यकार और पत्रकार स्वराज्य करुण तथा श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा के अध्यक्ष प्रवीण प्रवाह उपस्थित थे।
अनावरण समारोह के बाद, दूसरे सत्र में स्वर्गीय कवि मधु धांधी को समर्पित आंचलिक कवि गोष्ठी भी आयोजित की गई, जिसमें महासमुंद, बागबाहरा, बसना और पिथौरा के कवियों ने काव्यपाठ किया।
हैरत में डालने वाली साहित्यिक घटना : डॉ. हिमांशु द्विवेदी
मुख्य अतिथि की आसंदी से प्रतिमा अनावरण समारोह के प्रथम सत्र में डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि किसी कवि के निधन के लगभग अड़तालीस साल के लंबे अंतराल बाद उनकी प्रतिमा का अनावरण, वह भी उनके ही गाँव में होना, अपने-आप में हैरत में डालने वाली एक महत्वपूर्ण साहित्यिक घटना है। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि यह हैरत का विषय इसलिए भी है कि आम तौर पर राजनेताओं और उद्योगपतियों की प्रतिमाओं की स्थापना होती रहती है, लेकिन किसी कलमकार की स्मृति में, और वह भी उनके देहावसान के 48 वर्ष बाद उनकी मूर्ति की स्थापना का होना, मेरे लिए निश्चित रूप से अचरज का विषय है।
उन्होंने दिवंगत कवि के गाँव में प्रतिमा अनावरण समारोह को एक शानदार आयोजन बताया और इसके लिए मधु धांधी के परिवारजनों तथा खुटेरी के ग्रामवासियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आज के युग में अधिकांश लोग अपने पूर्वजों को याद नहीं रखते, घर के बुजुर्गों तक को उनके जीते जी भुला दिया जाता है, लेकिन मधु धांधी का परिवार एक संस्कारवान परिवार है, जिसने उनके निधन के 48 वर्ष बाद भी उन्हें याद रखा और उनकी प्रतिमा की स्थापना करके उनकी स्मृतियों को संरक्षित किया।
डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने मधु धांधी को एक क्रांतिकारी और साहसिक कवि बताया और कहा कि दिवंगत कवि मात्र 26 वर्ष की उम्र जी पाए, लेकिन अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों और समाज की कड़वी सच्चाइयों को उजागर करने का साहसिक प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक विसंगतियों पर ऐसी सूक्ष्म दृष्टि रखने और हिम्मत के साथ अपनी बात कहने, लिखने वाला कवि, अफसोस है कि बहुत जल्दी संसार से चला गया। उनकी यह प्रतिमा हमें उनकी रचनाओं की याद दिलाती रहेगी। नई पीढ़ी को चाहिए कि वह न सिर्फ उन्हें याद करे, बल्कि उनकी रचनाओं को भी पढ़े। डॉ. द्विवेदी ने समारोह में स्थानीय ग्रामीणों और अंचल के विभिन्न स्थानों से आए लोगों की बड़ी संख्या में भागीदारी को काफी उत्साहजनक बताया।
प्रतिमा अनावरण से अंचल हुआ गौरवान्वित : चुन्नीलाल साहू
समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने कहा कि दिवंगत कवि की प्रतिमा के अनावरण से आज यह सम्पूर्ण अंचल स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि मधु धांधी छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन में रचे-बसे कवि थे। श्री साहू ने उनकी एक छत्तीसगढ़ी कविता की इन पंक्तियों का ज़िक्र किया:
“परसा फेर फुलही डुमर फूल,
दिन आ गे हे ना,
महुआ फेर झरही डुमर फूल,
कुचिया गे हे ना।”
उन्होंने कहा कि मधु धांधी ने इस अंचल की ज़मीन से जुड़कर कविताओं का सृजन किया।
निराधार नहीं होती कवि की कल्पना : डॉ. चित्तरंजन कर
विशेष अतिथि, वरिष्ठ भाषाविज्ञानी डॉ. चित्तरंजन कर ने कहा कि कोई भी साहित्यिक-कला सिर्फ़ मनोरंजन के लिए नहीं होती। किसी भी कवि की कल्पना निराधार नहीं होती। कविता कभी पुरानी नहीं होती। मधु धांधी की कविताएँ भी अपने समय से संवाद करती हैं।
आयोजन के विशेष अतिथि, छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध उपन्यासकार शिवशंकर पटनायक ने कहा कि मधु धांधी मेरे छात्र रहे। विद्यार्थी जीवन से ही उनमें काव्य सृजन की प्रतिभा विकसित होने लगी थी और वे बहुत अच्छी रचनाएँ लिखने लगे थे।
विशेष अतिथि जी. आर. राना ने प्रतिमा अनावरण समारोह के सफल आयोजन के लिए मधु धांधी के परिवार, स्थानीय ग्रामवासियों और श्रृंखला साहित्य मंच को बधाई दी। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. धीरेन्द्र साव ने मधु धांधी के काव्य सृजन की तारीफ़ करते हुए उनसे जुड़ी यादों को साझा किया।
साहित्यकार स्वराज्य करुण ने कहा कि मधु धांधी अपने नाम के अनुरूप सुमधुर आवाज़ के धनी थे। हर सच्चे कवि की तरह वे बहुत गहरी मानवीय संवेदनाओं के कवि थे। उन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी, दोनों ही भाषाओं में काव्य साधना की। हिन्दी में ज़्यादा लिखा, भले ही उनकी छत्तीसगढ़ी रचनाएँ संख्या में कम हैं, लेकिन वे भी एक से बढ़कर एक बेहतरीन कविताएँ हैं।
श्रृंखला साहित्य मंच के अध्यक्ष प्रवीण ‘प्रवाह’ ने भी अपने उद्बोधन में मधु धांधी को याद किया और प्रतिमा स्थापना समारोह को एक यादगार आयोजन बताया।
अनावरण समारोह के अंत में ग्राम पंचायत खुटेरी के पूर्व सरपंच और मधु धांधी के पोते घनश्याम धांधी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन उमेश दीक्षित और संतोष गुप्ता ने किया। इस अवसर पर धांधी परिवार के अनेक सदस्य, श्रृंखला साहित्य मंच पिथौरा के सदस्य, ग्राम पंचायत खुटेरी की सरपंच सुशीला माँझी और उपसरपंच चंचल सिन्हा सहित अनेक पंचगण, जनपद पंचायत पिथौरा के पूर्व अध्यक्ष सतपाल सिंह छाबड़ा, ग्राम सांकरा (जोंक) निवासी एवं अंचल के सुप्रसिद्ध रामायण गायक जवाहरलाल नायक तथा पिथौरा क्षेत्र के अनेक साहित्य प्रेमी नागरिक एवं पत्रकारगण उपस्थित थे।
स्वराज करुण पिथौरा
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