राजिम कुंभ 31 जनवरी से 13 फरवरी तक

छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध तीर्थ नगरी राजिम के महानदी, पैरी और सोंढूर नदी के संगम पर तेरहवां राजिम कुंभ मेला अगले साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। एक पखवाड़े के इस वार्षिक मेले का समापन महाशिवरात्रि पर 13 फरवरी को होगा। मेले के दौरान सात फरवरी से 13 फरवरी तक संत-समागम का भव्य आयोजन होगा। तेरहवें राजिम कुंभ मेले की तैयारियां शुरू हो गई है। इसके लिए संस्कृति विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।

धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज यहां विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में मेले की व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारियों की प्रारंभिक बैठक लेकर सभी जरूरी तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए। बैठक में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व तथा जल संसाधन विभाग के सचिव श्री सोनमणि बोरा ने सबसे पहले मेला कार्यक्रम की जानकारी दी। बैठक में रायपुर कलेक्टर श्री ओ.पी. चौधरी, गरियाबंद कलेक्टर श्रीमती श्रुति सिंह, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक श्री एम.टी. नन्दी, संचालक संस्कृति श्री जितेन्द्र शुक्ला, जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता श्री एच.आर. कुटारे, उपायुक्त श्रीमती सरिता तिवारी सहित रायपुर, गरियाबंद और धमतरी जिले के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

श्री अग्रवाल ने कहा कि राजिम कुंभ मेले की ख्याति हर साल लगातार बढ़ रही है। यह प्रतिष्ठापूर्ण वार्षिक आयोजन छत्तीसगढ़ की पहचान बन गया है। देश-विदेश में राजिम कुंभ मेले की चर्चा हो रही है। राजिम कुंभ मेले की लोकप्रियता को देखते हुए इस साल पिछले सालों की अपेक्षा सारी व्यवस्थाएं और अधिक मात्रा में करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मेले के दौरान पेयजल, चिकित्सा सुविधा, सुरक्षा व्यवस्था, परिवहन व्यवस्था, विद्युत व्यवस्था के लिए अभी से तैयारियां शुरू की जाए। मेले के लिए विभागों द्वारा अलग-अलग प्रबंध किए जाते हैं। उन्होंने त्रिवेणी संगम में नदी पर बनने वाली आंतरिक सड़कों, बेरीकेटिंग तथा पेयजल के लिए पाइप लाइन आदि के लिए ले-आउट तैयार करने के निर्देश दिए। श्री अग्रवाल ने अधिकारियों से कहा कि राजिम आने-जाने वाली सभी प्रमुख सड़कों का निरीक्षण कर मरम्मत आदि के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया जाए। ये सड़कें तीन जिलों रायपुर, गरियाबंद और धमतरी जिले में आती हैं। इन तीनों जिलों के अधिकारियों को संयुक्त रूप से प्रस्ताव बनाना चाहिए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को बेरीकेटिंग के लिए पर्याप्त मात्रा में बांस-बल्ली के साथ-साथ जलाऊ लकड़ी की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को पेयजल व्यवस्था और शौचालय निर्माण के लिए जरूरी प्रबंध करने के निर्देश दिए।

श्री अग्रवाल ने संत-समागम के लिए देश के प्रमुख संत अखाड़ों और आश्रमों, मठों को आमंत्रित करने के लिए प्रतिनिधि मंडल भेजा जाए। मेले के दौरान 15 दिन तक राजीव लोचन मंदिर के पास मुक्ताकाशी मंच पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर ली जाए। इसमें छत्तीसगढ़ के लोक-कलाकारों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों एवं कला मंडलियों के कार्यक्रम कराए जाए। श्री अग्रवाल ने गरियाबंद, रायपुर और धमतरी जिले के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि वे अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारियों की बैठक लेकर तैयारियां शुरू कर दें। राजिम, नवापारा और मगरलोड क्षेत्र की धर्मशालाओं का मेले के लिए अधिग्रहण की कार्रवाई कर ली जाए। मंदिरों की साफ-सफाई और रंगाई-पोताई का काम मेले शुरू होने से पहले हो जाने चाहिए, इसके लिए अभी से तैयारियां की जानी चाहिए। तीनों जिलों के कलेक्टरों की अध्यक्षता में संयुक्त बैठक आयोजित कर मेले की तैयारियां की जाए।