शोधार्थियों ने किया मल्हार के पुरा वैभव का निरीक्षण, संगोष्ठी का हुआ समापन

महंत घासीदास संग्रहालय के प्रेक्षागृह में डॉ कृष्णदत्त बाजपेयी स्मृति में 10 से 12 अगस्त तक तीन दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किया गया। इस संगोष्ठी में शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र पढे गए तथा मल्हार के पुरातत्व पर विद्वानों के व्याख्यान हुए।

इस तीन दिवसीय संगोष्ठी का समापन प्राचीन नगरी मल्हार के मां डिडिनेश्वरी मंदिर परिसर में हुआ, यहाँ रायपुर से पुराविदों एवं शोधार्थियों का एक दल पहुंचा। राष्ट्रीय स्तर के पुरातत्व संग्रहालय की मांग कल यहां पुरा विशेषज्ञों और छतीसगढ़ संस्कृति विभाग के अधिकारियों के सम्मुख इस अंचल में प्राचीन धरोहर के संरक्षण की चाह करने वालों ने रखी है।
रायपुर से आए हुए शोधार्थियों ने देऊल मन्दिर का निरीक्षण किया और फिर मल्हार के प्रसिद्ध शैव पातालेश्वर मन्दिर का अवलोकन किया। यहां एक छोटा साइट म्यूजियम बना है । जिसमें अमूल्य प्राचीन धरोहर संरक्षित है। 

मल्हार और उसके इर्दगिर्द गांव में पुरा का खजाना है, जो छतीसगढ़ की संस्कृति औऱ इतिहास की बिखरी कड़ी है। इसे संरक्षण देने अब बड़े म्यूजियम की आवश्यकता है।
यहां पहुंचे विद्वानों ने धरोहर संरक्षण में लगे स्थानीय जनों की तारीफ की और कहा इस इलाके के विकास और पर्यटन इस तरह हो कि यह प्राचीन सम्पदा सुरक्षित बनी रहे।यहां मल्हार उत्खनन से जुड़े सागर विश्वविद्यालय के डॉ के के त्रिपाठी का अभिनंदन किया गया।


संगोष्ठी के प्रथम दिन रायपुर में मुख्य रूप से प्रोफेसर कृष्ण दत्त बाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा उनसे जुड़े संस्मरण। दूसरे दिन मुख्यतः मल्हार के पुरातत्व और उत्खनन से जुड़े शोध पत्रों का वाचन। और समापन बिलासपुर से तीस किमी दूर मल्हार में हुआ।
आयोजन कर सूत्रधार, संस्कृति विभाग के राहुल सिंह रहे, संगोष्ठी में डॉ एएल श्रीवास्तव डॉ केके त्रिपाठी, डॉ चंद्र शेखर गुप्त, डॉ दिनेश नंदिनी परिहार, डॉ ए एल पाठक, जी एल रायकवार, एस एस यादव, डॉ शम्भूनाथ यादव एवं

डॉ बी चौधरी, नीरज तिवारी समापन दिवस पर,मल्हार के संजीव पांडेय, ओम प्रकाश पांडेय, राजेश पांडेय, शंकर चौबे, बालमुकुंद वैष्णव, लैनुराम कैवर्त्य, पुर्णेंद तिवारी, रमाकांत सिंह मुलमुला,  ठाकुर सुरेंद्र सिंह और अध्यक्ष नगर पंचायत मल्हार ने भागीदारी निभाई। फ़ोटो – प्राण चड्डा से साभार।