अभिव्यक्ति का प्राचीनतम माध्यम रेखांकन एवं चित्रांकन : मनकही

कहा जाए तो समस्त प्रकृति ही ईश्वर की अनुपम रचना है, परन्तु मनुष्य उसमें विशिष्ट है क्योंकि इसको ईश्वर ने बुद्धि, विवेक के साथ एक सुकोमल हृदय भी दिया है। जो संवेदनाओं एवं भावनाओं से परिपूर्ण होता है। मनुष्य जब पशुवत जीवन जी रहा था, उसे लिपि एवं भाषा का सम्यक ज्ञान नही था, तबसे वह किसी न किसी माध्यम से भावाभिव्यक्ति करता चला आ रहा है।

उसने संकेतों और ध्वनियों को अपने विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। भाषा भावों की अनुगामिनी होती है। परंतु जब भाषा ही नही थी तब मनुष्य ने रेखांकन और चित्रांकन द्वारा गुफाओं -कंदराओं में पत्थरों पर आड़ी, तिरछी लकीरों से अपने आसपास के परिवेश चित्रांकन अपनी कल्पना के साथ उकेरा जिसमे पशु-पक्षियों, पेड़पौधों, शिकार,इत्यादि का अंकन किया। ये सब अंकन उस पाषाणयुगीन मानव की उत्कृष्टतम रचनाएं हैं।

भारतीय संस्कृति, सभ्यता, कला के अनूठे प्रत्यक्ष प्रमाण अजंता-एलोरा की गुफाओं में, प्राचीन जीर्ण-शीर्ण मंदिरों एवं भवनों के भग्नावशेषों में प्राप्त होते हैं। संकेत चिन्हों व चित्रों द्वारा मनुष्य की कलात्मकता स्पस्ट दृष्टिगोचर होती है। शैलचित्रों को देखने से एक सुखद अनुभूति होती है। जिससे हमे तत्कालीन समाज, परम्परा,परिवेश, जीवन शैली, रहन-सहन आदि की जानकारी प्राप्त होती है

मेरे विचार से चित्रों, संकेतों द्वारा जितनी अधिक गहराई से भावाभिव्यक्ति होती है, उतनी भाषा द्वारा नही होती। इसी कारण चित्रों व संकेत चिन्हों से विचार अभिव्यक्ति की परंपरा आदिमानव के काल से लेकर वर्तमान तक अनवरत चली आ रही है।
आज मनुष्य विकास की ऊंचाइयों को छू रहा है। इंटरनेट,कंप्यूटर,मोबाइल उसके जीवन के अभिन्न अंग बन गए है।

भाषाई ज्ञान में भी परिपक्व है। परंतु फिर भी वह विचार व भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए संकेत चिन्हों एवं चित्रों का सहारा लेता है। कहते है चीजें वापस आती है पर नयापन लिए। सदियों से जिन संकेतों, चित्रों का प्रयोग किया जाता रहा वे आज पुनः प्रयोग में लाये जा रहे हैं।

दुनिया की आपाधामी में जहाँ मनुष्य के पास समय न हो कि वह लिखने के बजाय इन्ही चित्रों, संकेतों से अपने विचारों का आदान प्रदान करता है क्योंकि चित्र गागर में सागर भर देतें है और सारी बात कह देते हैं ।

संकेत चिन्ह और चित्रलिपि अभिव्यक्ति के सम्प्रेषण का सशक्त माध्यम है। मानव मनोभावों और रसों से भरा हुआ है। कलात्मकता प्रकृति प्रदत्त है। इसीलिए भाषाई और लिपि का ज्ञान होते हुए भी उसने संकेतों व चित्रो से मन के उद्गार को प्रदर्शित किया ।

वर्तमान में अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो हम चित्रों और संकेत चिन्हों से घिरे पाएंगे। विभिन्न संस्थाएं, धर्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के लिए देशी-विदेश संस्थान प्रत्येक क्षेत्रों में इनका प्रयोग करके अपनी अलग छबि निर्मित करते हैं, जिन्हें देख लेने मात्र से स्वमेव ही पूरी जानकारी मिल जाती है। उदाहरण के लिए सड़कों के किनारे लगे विभिन्न चिन्हों को देख कर बड़ी आसानी से गन्तव्य तक पहुंचा जा सकता है।

युगों से शैलचित्रों एवं संकेत चिन्हों द्वारा भावाभिव्यक्ति की परंपरा आज तक विद्यमान है। हर व्यक्ति आज इन संकेतों व चिन्हों का उपयोग सहज ही कर रहा है। यकीन नही तो उठाइये अपना मोबाइल और शुरू हो जाइये, सांकेतिक चिन्हों और चित्रों से चेटिंग करना और लीजिये कम समय में आदिम युग की अभिव्यक्ति का भरपूर आनन्द।

रेखा पाण्डेय
अम्बिकापुर, सरगुजा
छत्तीसगढ़

One thought on “अभिव्यक्ति का प्राचीनतम माध्यम रेखांकन एवं चित्रांकन : मनकही

  • December 9, 2019 at 09:24
    Permalink

    बेहतरीन, रामगढ़ की गुफाओं में भी पाषाणयुगीन संकेत पाए गए हैं।

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *