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जीवन और सुख-दुःख का आधार मन : मनकही

मन चंचल होता है, मन की गति अत्यधिक तीव्र होती है। जीवन में सुख-दुःख क्या है? मन के भाव ही

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सकारात्मकता ही जीवन का मूल मंत्र : मनकही

भौतिक सुख-सुविधाएं मनुष्य को तभी ख़ुशी देती हैं जब तन-मन स्वस्थ्य और जीवन सुरक्षित हो, परन्तु परिस्थितियां प्रतिकूल और प्राण

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भौतिक युग और आधुनिक जीवनशैली वरदान या अभिशाप : मनकही

विकास के साथ दुनिया बड़ी तीव्रता से बदल रही है, गाँव से लेकर शहर तक। जहाँ हम निवास करते हैं,

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स्वयं का पुरजोर उद्यम है सफ़लता

जीवन में सफलता निज कार्यों पर आधारित होती है। सही समय पर किया गया उचित प्रयास सफलता की संभावना को

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हंसा चल रे अपने देश : मनकही

मनुष्य जैसे यात्रा से पूर्व सारी चीजों को समेटना प्रारंभ कर देता है। वैसे ही जीवन यात्रा समाप्त होने से पूर्व जीवन मे जो मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, ईमानदारी, सभी कुछ सहेजने का  समय आ जाता है। मन में एक साध रहती है  किसी के साथ अन्याय न हो। ईमानदारी से जितना बन पड़े उतना काम तो कर लें क्योंकि दो दिन का जग मेला, अब चला चली का बेरा। मनुष्य अच्छे कर्म के द्वारा ही आने वाली पीढ़ियों के समक्ष अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत कर सदैव याद किया जाता है।

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पढ़ेगा भारत-गढ़ेगा भारत-बढ़ेगा भारत : ऑनलाइन शिक्षा

मानव जीवन में भौतिक, आध्यत्मिक उन्नति के लिए शिक्षा अति आवश्यक है। शिक्षा वह ज्योति पुंज है जिसके  ज्ञानरूपी प्रकाश से मनुष्य का जीवन आलोकित होता है। शिक्षा व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण के साथ संस्कृति का संरक्षण एवं समाज कल्याण भी करती है|

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