दिल्ली में विधानसभा चुनाव परिणामों के एक महीने बाद केजरीवाल की पहली सार्वजनिक उपस्थिति
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के एक महीने बाद, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल रविवार को पार्टी कार्यालय में शहीद दिवस के अवसर पर एक राजनीतिक कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह उनकी चुनाव परिणामों के बाद पहली सार्वजनिक उपस्थिति होगी।
AAP ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता भी केजरीवाल के साथ इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
कांग्रेस और विपक्षी दलों की बैठक, सीमांकन का विरोध
शनिवार को चेन्नई में हुए सीमांकन बैठक ने यह तय किया कि आगामी लोकसभा सीटों के पुनः सीमांकन पर विपक्षी दलों के नेतृत्व में आगामी संघर्ष कैसे होगा। दक्षिण, पंजाब और ओडिशा जैसे राज्यों के कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस सीमांकन प्रक्रिया के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
सीमांकन 2026 की जनगणना के बाद होगा। दक्षिणी राज्यों के विपक्षी दलों को डर है कि उन्हें सीटों की संख्या में कमी हो सकती है, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि यह केवल राजनीतिक गणित नहीं, बल्कि इन राज्यों की जीवित रहने की लड़ाई है। स्टालिन ने यह भी कहा कि यदि वर्तमान फार्मूला लागू होता है तो तमिलनाडु को कम से कम आठ लोकसभा सीटों का नुकसान हो सकता है।
दिल्ली सरकार की योजनाएं और भाजपा के कदम
दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 70 सीटों में से 48 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि AAP की सीटें घटकर 62 से 22 हो गईं। केजरीवाल ने जो नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था, वह भी हार गए थे।
हालांकि भाजपा सरकार के लिए, यह स्थिति एक नई शुरुआत है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अगुवाई में सरकार ने कई चुनावी वादों को पूरा करना शुरू कर दिया है, जिनमें आयुष्मान भारत योजना का लागू करना और महिला समृद्धि योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है। महिला समृद्धि योजना का उद्देश्य पात्र महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये देना है।
इसके अलावा, दिल्ली की सड़कों को बेहतर बनाने के लिए भी काम शुरू किया गया है। मंत्री प्रतिदिन सड़कों पर निरीक्षण कर रहे हैं, और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी इसका हिस्सा बन रही हैं।
मणिपुर में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों की यात्रा
मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश बी आर गावई ने शनिवार को उम्मीद जताई कि राज्य जल्द ही इस “कठिन दौर” से बाहर निकलेगा। उन्होंने राज्य के विकास के लिए कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
गावई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों की एक टीम मणिपुर के छुराचांदपुर जिले के राहत शिविर में गई और वहां विस्थापित लोगों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राज्य में शांति और सद्भाव बहाल करने की अपील की।
यह यात्रा मणिपुर में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों ने वहां के लोगों को एकजुट होने और हिंसा समाप्त करने का संदेश दिया।
निष्कर्ष
इस समय दिल्ली, मणिपुर और सीमांकन के मुद्दे पर राजनीतिक चर्चा और निर्णयों का असर आगामी दिनों में व्यापक रूप से महसूस किया जाएगा। दिल्ली में भाजपा की सत्ता पर काबिज़ होने के बाद, पार्टी ने अपनी चुनावी योजनाओं को प्राथमिकता दी है। वहीं, मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों का दौरा शांति की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।