सड़क एवं मनुष्य का जीवन एक जैसा : मनकही
बस शब्द के चार पर्याय है बस ,वश ,बस और बस। यहां पहले बस का अर्थ पर्याप्त या काफी है
Read Moreबस शब्द के चार पर्याय है बस ,वश ,बस और बस। यहां पहले बस का अर्थ पर्याप्त या काफी है
Read Moreमनुष्य को जीवन में इन समस्या, परेशानी, मुसीबत आदि शब्दों से सामना करना पड़ता ही है, शायद ही किसी मनुष्य
Read Moreॠग्वेद कहता है -समानः मन्त्रः समितिः समानी, समानं मनः, सः चित्तम् एषाम (हों विचार समान सबके, चित्त मन सब एक हों।) विचारों की समानता एवं चित्त मन के एकसार होने पर निश्छल मित्रता होती है, जिसकी कोई पार नहीं पा सकता। ऐसी मित्रता के कई उदाहरण हमें वांग्मय एवं समाज में मिलते हैं।
Read Moreकहते हैं माल खाये गंगाराम और मार खाये मनबोध। जीवन में ऐसा भी होता है कभी-कभी। मनुष्य को न जाने
Read Moreकोई भी उद्यमी जब अपने व्यापार एवं व्यवसाय की परिकल्पना को आकार देने की सोचता है तब बहुत सारी तकनीकि समस्याएं मष्तिष्क में आने लगती है जैसे व्यापार की स्थापना के लिए एक अच्छी व्यापार योजना
Read Moreबढ़ती बेरोजगारी और महंगी होती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ने मध्यम वर्गीय परिवारों को एक चिरस्थाई घोर हताशा में ला खड़ा किया है। सरकार की विभिन्न योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की जटिल प्रक्रियाओं ने जरूरतमंदों को ऐसे दोरस्ते पर ला खड़ा किया है जहाँ से या तो उन्हें सिर्फ काम चलाऊ अस्थाई रोजगार से काम चलाना पड़ता है।
Read More