जहाँ सुमति तहँ संपति नाना : मनकही

आज पूरा विश्व कोरोना (covid 19) नामक भयानक वायरस की चपेट में आ गया है जिससे चारों ओर भय, बीमारी और मृत्यु का वातावरण बन गया है। संपूर्ण मानव जाति संकट से घिर कर त्राहि-त्राहि कर रही है। इसका जिम्मेदार चीन है, जिसकी एक गलती की सज़ा पूरा विश्व भोग रहा। चीन के वुहान के मीट बाज़ार से उपजे इस वायरस की खबर 2019 में ही हो गई थी, जिस डॉक्टर को इसकी जानकारी थी उसे चुप रहने को कहा गया।

भयवश या ऊपरी दबाव से उसने भी इसे छिपा लिया और दुष्परिणाम के रूप में उज़ागर हुआ। यदि उस डॉक्टर ने अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए सच को वाइरल कर दिया होता तो ये वायरस लोगों की अकाल मृत्यु का कारण नही बनता और समय रहते इस त्रासदी से बचा जा सकता था। रामचरित मानस के सुंदरकांड में तुलसीदास जी का दोहा वर्तमान में कितना प्रासंगिक और सटीक है।

सचिव बैद गुर तीनि सौं, प्रिय बोलहि भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर, होई बेगिहीं नास ।।

भारत को विश्व गुरु ऐसे ही नही कहा जाता ऋषि-मुनियों की अमर वाणी अक्षरशः सत्य है। चीन के द्वारा इस वायरस की जानकारी नहीं देने से आज धीरे-धीरे ये महामारी का विकराल रूप लेकर पांव पसारने लगा और आज इंसान इस वायरस से संक्रमित होकर कष्ट झेल रहा है। दूसरी बीमारी में घर-परिवार और अन्य लोग भी देखरेख, कुशलक्षेम पूछ लेते हैं परंतु इस संक्रमण फ़ैलाने वाले कोरोना वायरस से तो दूरी बनाए रखना ही अपनी सुरक्षा का प्रथम उपायहै। भीड़-भाड़, सार्वजनिक जगहों से दूर रहना, सफाई पर विशेष ध्यान देना, छींकते-खांसते समय मुँह पर रुमाल लगा कर रखना आदि बहुत छोटे किंतु सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपाय हैं।

आज हमारे डॉक्टर्स,नर्स-स्टाफ़, पुलिस ,सुरक्षा कर्मी सफाई कर्मी,मीडिया, प्रेस सभी अपना भरपूर योगदान दे रहे,
अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए, अपने सच्चे देशभक्त होने का प्रमाण दे रहे। ऐसे में आम जनता का कर्तव्य और दायित्व कई गुना बढ़ जाता है कि हम उन नियमों को मानकर चलें ताकि हम भी अपनी आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रख सकें, जिस परिवार की सुरक्षा और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए हम मेहनत करते हैं उनको ही एक छोटी सी लापरवाही से संकट में कैसे डाल सकते हैं?

हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने पूरे देश को संकट से सुरक्षित रखने के लिए समस्त देशवासियों को सन्देश देकर आह्वान किया और जनता कर्फ़्यू का सन्देश दिया जिस पर अमल कर अपने देश ही नही वरन समस्त मानव जीवन को इस कोरोना के संकट से बचने के लिए अपने आप को घर में ही आइसोलेट करने को कहा। पुरे देश की जनता अपने घर में ही रहे, बाहर न निकले। मोदी जी ने उन सभी कार्यकर्ताओं को जो इस कर्फ़्यू और संकट की घड़ी में अपना योगदान दें रहें है उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए शाम पांच बजे थाली, ताली, शंख, घंटी अपने घर के सामने खड़े होकर बजाने को कहा।

उन्होंने समस्त भारत को एकबार फिर एकसूत्र में पिरो दिया हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति के प्रेमरस का स्रोत फूट पड़ा। सभी ने उनकी बात को सुना, समझा और एकजुट होकर आभार प्रदर्शन किया। वो क्षण सच में बहुत उत्साह और रोमांच से भरा था। जब बच्चे, वृद्ध, युवा सभी घर के सामने ताली, थाली, शंख, घंटी बजा रहे थे। एक नाद गूंज रहा था हर कहीं, बिना लाउडस्पीकर के ही शुद्ध, सात्विक ध्वनि से पूरे देश का कोना -कोना मंगलमय हो गया।

आज भारत की वैदिक सभ्यता, संस्कृति, नियम, परम्परा की सार्थकता का भान हो गया कि क्यों बनाये गए थे नियम, क्या उद्देश्य था इसके पीछे? जिसे हम दकियानूसी, रूढ़िवादिता का नाम दे पाश्चात्य सभ्यता को अपना कर अपने को आधुनिकता का जामा पहना कर गर्व कर रहे थे, आज एक वायरस ने आकर हमें अपनी सभ्यता-संस्कृति के महत्व को समझा दिया जि जो नियम, कानून बनाये गए थे उनका उद्देश्य जाति-पाँति, छुआ-छूत को बढ़ावा देने के लिए नही था, उनका उद्देश्य तो समस्त मानव जाति को स्वस्थ, सुरक्षित रखना था। मनुष्य विकास के इस दौर में अपनी मर्यादाओं को भूल कर अहम ब्रम्हास्मि सोचने लगा था।

आज और भयानक स्थिति होती यदि मोदी जी ने स्वच्छता-अभियान ना चलाया होता । पूरा देश गंदगी का ढ़ेर बनगया था, लोगों को जागरूक करने और स्वच्छ भारत अभियान, हाथ-धोने का दिवस, हर घर शौचालय निर्माण,जैसी महत्वपूर्ण बातों के लिए युद्ध-स्तर पर अभियान चला कर उस पर सफ़लता भी प्राप्त कर भारत देश को सुरक्षित किया उस समय कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा या यूँ कहे की हम स्वयं किंकर्तव्यविमूढ़ हो रहे थे। यहां पुनः रामचरित मानस की चौपाई याद आ रही है

“सुमति कुमति सब कें उर रहहीं ।
नाथ पुरान निगम अस कहहीं ।।
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना ।
जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना ।।”

आइये हम सभी एक होकर अपने देश को और अपने ऊपर आये इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संकट से छुटकारा पाने के लिए अपनी बुद्धि, विवेक से अपने नैतिक, मानवीय कर्तव्यों को समझते हुए उनका निर्वहन कर, अपने देश और अपनी पीढ़ी को बचाने हेतु अपने प्रधानमंत्री मोदी जी की बातों का अनुसरण करते हुए देश हित में जागरूक होकर अपना भरपूर सहयोग दें।

श्रीमती रेखा पाण्डेय
व्याख्याता हिन्दी
अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़

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