दृढ संकल्प और आत्मनियंत्रण द्वारा कोरोना से बचाव : मनकही
वैश्विक महामारी कोरोना से जहां विश्व जूझ रहा है वहीं इसका सामना करने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय सोशल डिस्टेंसी को माना गया है। कम से कम दो गज की दूरी बनाकर रखना, बार-बार हाथ धोना, मास्क का प्रयोग करना, भीड़-भाड़ से बचना सभी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। देश की जनता को सुरक्षित रखने के लिए देश को लॉक डाउन किया गया। 25 मार्च से पहला चरण, फिर दूसरा अब तीसरा चरण चल रहा।
पहले चरण में लोगो को जीवनशैली में परिवर्तन के साथ सामंजस्य बैठाने में थोड़ी परेशानी हुई पर सबने अपने को परिस्थिति अनुसार ढाल लिया। दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं, दवाई की आपूर्ति की अलावा सब बन्द और सबसे महत्वपूर्ण शराब बंदी। जिसके कारण हर दूसरा घर शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहा था। लॉक डाउन में शराब बंदी से लोगों के घर में शांति का माहौल बना।
तीसरे चरण में शराब बिक्री की छूट दी गई, शराब दुकान खुलने की ख़बर मिलते ही शराबियों की सुप्त आत्मा जागृत हो गई और भोर होते ही सुरक्षा के सारे नियमो को ताक पर रख कर लोगों की भीड़ ठेकों पर उमड़ पड़ी। मेला सा माहौल बन गया। महज़ कुछ घण्टों में लॉक डाउन की गिनती शून्य पर आ गई।
लोग दारू पीकर लोटने लगे और घर की महिलाओं व बच्चों में शराब दुकान खुलने को लेकर दहशत थी कि अब क्या होगा? फिर से वही अशांति, मार-पीट, गाली–गलौज, चोरी का क्रम शुरू हो जायेगा। दुकान खुलते ही शराबी घर-परिवार और दूसरों की चिंता किये बिना लग गये कतार में शराब लेने को।
इनमे सभी वर्ग के लोग हैं और ये भूल गये कि कोविड 19 वायरस के कारण जान के लाले पड़े है। संपूर्ण मानव जाति संकट में है, अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो रहा है, इस समय आत्मनियंत्रण करने के बजाय शराब पीने पहुंच गए। सुराप्रेमी संवेदना शून्य हो गए, चालीस दिनों में हमारे रक्षक डॉक्टर, नर्स, पुलिस, सफाई विभाग द्वारा दिन-रात किये जाने वाले कार्यों को भी भूल गए।
कोरोना वारियर्स अपना परिवार छोड़, अपनी जान की बाजी लगाकर लोगो को बचाने में जुटे हुए है उल्टा इनके साथ ही दुर्व्यवहार किया जाता रहा है, परन्तु ये लोग “जन सेवा ही प्रभु सेवा” मानकर अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा व लगन से निभा रहे हैं। इंसान कितना स्वार्थी हो गया कि भूल गया एक छोटी सी चूक स्वयं के साथ–साथ घर, परिवार, मुहल्ला, नगर, प्रदेश और देश सबको ले डूबेगा।
शराब इतनी महत्वपूर्ण हो गई की छूट मिलते ही पहले दिन ही सारी अच्छे परिणाम की संभावनाओं को ही समाप्त कर दिया। भीड़ छंट गई पर कोरोना का प्रसाद तो कब, कहाँ, कैसे, किससे, किन-किन तक पहुंच गया होगा इसका परिणाम कुछ दिनों में सामने आ जायेगा।
कुछ नियम बनाते हुए सख्ती के साथ उनका पालन करते हुए ही शराब बिक्री की जानी चाहिए, आधार नंबर से जब हर की पहचान हो जाती है तो इस नंबर को विशेष चिन्हित करके सीमित मात्रा व समय को निर्धारित करते हुए बिक्री की जानी चाहिए।
जैसे दवाई की निश्चित खुराक ही लाभदायक होती है इसी प्रकार सरकार को इसकी खरीदी, बिक्री और सेवन के नियम बनाकर कड़ाई से पालन करवाना चाहिए। यदि लोग सहमत तो ठीक नही तो पूर्णतः शराब बंदी होनी चाहिए।
लोग समय रहते अपनी आदत सुधार लें, अपने मन को मजबूत करें, दृढ संकल्प से आत्म नियंत्रण कर लें तो सब सही होगा। कोरोना संकट से उबरने के बाद हमे भारत का नया और सुंदर रूप देखने मिलेगा। कहा गया है -मन के हारे हार है, मन के जीते।
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