अमिट रही पहचान – कविता
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
इन्हीं सूत्र से संभव है अब भारत का निर्माण
हमें सैकड़ों युवक चाहिए तेज वीर और प्रज्ञा वाले
जो समुद्र को लांघ सकें और मृत्यु को गले लगा ले
नर में देख सकें नारायण दीन दु:खी से प्यार करें
सिंहों वाला पौरुष लेकर सिंहनाद हुंकार भरें
स्त्री और पुरुष दोनों का करता हूं आह्वान
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
समता और सहयोग शांति का संदेश सुनने वाले
शोषित पीड़ित दलित जनों के भाग्य जगाने वाले
पावित्र्य भाव से दीप्त युवाजन आगे आओ
ईश्वर के प्रति निष्ठा रखकर तुमभी अपना धर्म निभाओ
भरतभूमि का मिलकर हमको करना है उत्थान
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
वह देखो भारत माता फिर से सिंहासन पर सोह रही
अपने बाल और वैभव से दुनियां को है मोह रही
भारत फिर से अमर हो गया सत्य पताका साथ लिए
विश्व पटल पर खड़े आज हम विजय श्री सौगात लिए
तत्पर हैं अब परिवर्तन को विज्ञान किसान जवान
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
यह देश नहीं बनता नदियों से पर्वत से और पठारों से
यह देश नहीं बनता भाषण से देशभक्ति के नारों से
यह देश नहीं बनता कागज पर सजते सुंदर चित्र से
यह देश अमर रहता है प्रतिपल व्यक्ति व्यक्ति चरित्र से
सदाचरित्र की इस धरती पर अमिट रही पहचान
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
अभिनेष अटल
(शोध छात्र,समसामयिक चिंतक, युवाविचारक, एवं विषय प्रवर्तक जबलपुर मध्यप्रदेश)