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शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण का मार्ग योग

Rajendra singh rewari
राजेन्द्र सिंह, रेवाड़ी

वपुः कृशतवं वदने प्रसन्नता नादस्फुटत्वं नयने सुनिर्मले I

अरोगता बिन्दुजयोSग्निदीपनं नाडीविशुद्धिर्हठयोग लक्षणं II (हठयोग प्रदीपिका )

देह की कृशता , मुख पर प्रसन्नता ,नाद की प्रकटता ,दोनों नेत्रों की निर्मलता , रोग का अभाव ,बिंदु का जय , अग्नि का उद्दीपन ,नाड़ियों में मल का अभाव ये सभी योग सिद्धि के लक्षण है I

हठयोग प्रदीपिका के अनुसार योग करने से शरीर आकर्षक बनता है ,मुख पर प्रसन्नता रहती है ,वाणी में सौम्यता रहती है ,आँखे निर्मल बन जाती है .शरीर से रोग दूर हो जाते है अर्थात शरीर निरोगी बन जाता है , विजय के चिह्न ( भाव ) प्रकट होते है , नाड़ियां शुद्ध होती है ,अतः हम यह कह सकते है कि योग के द्वारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का लाभ होता है I

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का भी यही उद्देश्य है , जैसा की योग शब्द का एक अर्थ जुड़ना भी है , अतः प्रथम तो हम स्वयं ही स्वयं से जुड़ते है I  आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य अपने बारे में भी ध्यान नहीं दे पाता है अतः योग के द्वारा व्यक्ति स्वयं पर ध्यान देता है और दूसरी और योग के द्वारा व्यक्ति का जुडाव  समाज से भी होता है , और समाज से जुड़ने के साथ ही व्यक्ति के अंतर्गत योग के द्वारा विश्वबंधुत्व का भाव भी पैदा होता है I अतः हम कह सकते है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का वैश्विक दृष्टि से भी बहुत महत्व है I

योग और राजयोग :-

गीता में भी भगवन श्री कृष्ण ने योग के विषय कहा है कि योगः कर्मशु कौशलं “ अर्थात योग के द्वारा व्यक्ति के कार्यो  में कुशलता आती है I जो व्यक्ति योग मार्ग को अपनाता है वह ध्यान के द्वारा अपने शरीर पर नियंत्रण रखता है और मन की एकाग्रता के द्वारा जटिल कार्यो को भी सरलता से कर लेता है I मन की एकाग्रता ही योग पद्धति के माध्यम से बढती जाती है I जब मन एकाग्र होगा तभी कार्य में  कुशलता आती है और कठिन कार्य पर भी व्यक्ति बड़ी सरलता से विजय प्राप्त कर लेता है I यही भाव राजयोग से जुडा  है कि व्यक्ति राजयोग के द्वारा स्वयं पर विजय प्राप्त कर मन को नियंत्रण में कर लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है I

One earth , one health :- वर्ष 2025 का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य थीम भी यही है “ एक पृथ्वी ,एक स्वास्थ्य “ I सभी लोग जो इस पृथ्वी पर विद्यमान है सभी स्वस्थ होवे जैसा की शास्त्रों में भी कहा गया  है  कि सर्वे भवन्तु सुखिनः , सर्वे सन्तु निरामयाः अर्थात सभी जन सुखी हो , सभी जन निरोगी हो , जगत में कोई भी दुखी न होवे ,अतः योग के द्वारा विभिन्न क्रियाओं को अपनाकर हम सुखी और स्वस्थ रहने की कल्पना कर सकते है I क्योंकि योग हजारों वर्ष पुरानी ऋषियों द्वारा खोजी पद्दति है अतः इसे अपनाकर हम विश्व  कल्याण की भावना को आगे बढा  सकते है I

11 दिसम्बर 2014 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के 177 देशों के द्वारा रखा गया I 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली I संयुक्त राष्ट्र के द्वारा सबसे कम अवधि में इस प्रस्ताव को यह मानकर मंजूरी मिली कि  योग भी मनुष्य को दीर्घायु बनाता है I

योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है I योग का अभ्यास धार्मिक तपस्वियों के द्वारा भारतवर्ष में लगभग  2500 वर्ष पहले खोजा गया I जिसके प्रमाण प्राचीन हिन्दू लिपि में मिलते है I स्वामी विवेकानंद ने योग का परिचय पश्चिम के देशों में करवाया, जब वे 1869 में भारत से शिकागो सर्व धर्म सम्मलेन में गये और भारत और हिन्दू धर्म के बारे में पश्चिम जगत को अवगत करवाया I स्वामी जी की पुस्तक राजयोग ने पश्चिम के देशों को योग की और आकर्षित किया I

वर्ष 2024 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम “महिला सशक्तिकरण के लिए योग “रहा I जिसके अंतर्गत महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया I इस थीम का उद्देश्य महिलाओं के शारीरिक, मानसिक , भावनात्मक ,सामाजिक ,अध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देना था I महिलाओं में आत्मविश्वास बढाना व समाज में अग्रणी भूमिका निभाना भी लक्ष्य रहा I योग के द्वारा महिलाओं में आत्म जाग्रुकता बढ़ाना एवं आत्म सम्मान में वृद्धि करना भी रहा क्योंकि महिलाओं का विकास ही एक सशक्त समाज का निर्माण कर सकता है I

वर्ष 202३ में ” वसुधेव कुटुम्बकम अन्तराष्ट्रीय योग दिवस का थीम रहा I वर्ष 2022 में मानवता के लिए योग ,2021 , 2020 में स्वाश्थ्य के लिए घर- घर  योग ,2019 में जलवायु के लिए योग एवं 2018 में शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम रहा I

समत्वं योग उच्चयते अर्थात समभाव  के लिए  योग , यह परिभाषा गीता में दी गई जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया तब उन्होंने  ऐसा कहा , जिसका अर्थ है की एक समान भाव हो I जैसा की गीता में कहा गया है कि हमें दुःख एवं सुख , लाभ- हानि ,जय -पराजय की स्थिति  में समभाव  से रहना चाहिए I  समत्वं का पालन करना चाहिए और न तो निरुत्साह होना चाहिए और न ही स्वयं को तनाव या अवसाद में डालना चाहिए जैसा की गीता में कहा गया है न आत्मानम अवसादयेत अर्थात व्यक्ति को स्वयं को कभी भी तनाव में न डाले , तनाव को स्वयं पर कभी भी अपने पर हावी न होने देवे तथा स्वयं को अवसाद से बाहर योग के द्वारा निकाले और स्वयं का उद्धार करे I

योग के आठ अंग :-

महर्षि पातंजलि ने योग सूत्रों में योग के आठ अंगों का वर्णन किया है जिसमे क्रमश यम , नियम ,आसन ,प्राणायाम ,ध्यान, धारणा , समाधी के विषय में बताया है किस प्रकार व्यक्ति  यम – नियम का पालन कर स्वयं को निर्मल कर सकता है , चित्त की शुद्धि के लिए यम – नियम का पालन करना जरुरी I योग मार्ग में जैसे यम- नियम का पालन करना जरुरी है ठीक वैसे ही मानव जीवन में विभिन्न आसन का महत्व है जो शरीर को लचिला बनाने में सहायक है , और साथ ही शरीर का संतुलन बनाये रखने में भी विभिन्न आसनों का महत्व है I योग आसनों के द्वारा शारीर के विभिन्न रोगों को भी दूर करने में सहायता मिलती है I

आसन के बाद ठीक एक और महत्वपूर्ण अंग है प्राणायाम , जिसके द्वारा हम अपने शरीर को दीर्घायु बनाने में सफलता हांसिल करते है I प्राणों का ही शरीर में विशेष महत्व है I अतः प्राणायाम क्रिया के द्वारा ही शरीर में लचीलापन आता है और शरीर दृढ़ता को प्राप्त करता है , शरीर विभिन्न जलवायु व् मौसम परिवर्तन से लड़ने की क्षमता प्राप्त करता है I प्राणायाम से व्यक्ति के चेहरे पर तेज झलकता है I

ध्यान योग भी अष्टांग योग का ही एक भाग है और ध्यान योग का व्यक्ति के शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जैसे की बड़े – बड़े योगी ऋषियों ने ध्यान क्रिया के द्वारा ही स्वयं के शरीर को अवसाद से , तनाव से मुक्त रखा है I ध्यान विधि के द्वारा ही व्यक्ति स्मरण शक्ति की क्षमता प्राप्त करता है I अतः हम कह सकते है कि मनुष्य आज की भाग दौड़ की जिन्दगी से जूझ रहा है I अतः ध्यान विधि ही व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करने की सक्षम विधि है और समाज को स्वस्थ मानसिक मजबूती व् निरोगता प्रदान करने में सहायक है I बहुत से लोग ध्यान विधि के द्वारा स्वयं को तनाव मुक्त करने का अभ्यास करते है I जो व्यक्ति मानसिक कार्य करते है उनके लिए तो ध्यान विधि रामबाण का कार्य करती है ,अतः हम कह सकते है की ध्यान ( meditation ) का मानव जीवन में विशेष महत्व है I

आज जब हम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2025 मनाने जा रहे है तब हम सब की जिम्मेदारी है कि इस अवसर का हम भरपूर लाभ उठाये और न केवल 21 जून को ही योग दिवस मनाये अपितु योग को हम प्रत्येक दिन, जीवन का एक भाग बनाये और यह मानकर चले कि व्यक्ति को जैसे जीवन के लिए भोजन की आवश्यकता होती है ठीक वैसे ही इस जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए भी हम योग को प्रतिदिन के जीवन का भाग बनायेI  साथ ही हम सब का यह कर्तव्य भी है कि ऋषियों – मुनियों की हजारों वर्ष की परम्परा को ख़ुशी -ख़ुशी जीवन में अपनाये और दूसरे लोगों को भी योग से जोड़े , जहाँ भी रहे योग के फायदे लोगों से साझा करे ,जरुर किसी पार्क या सार्वजानिक स्थल पर साप्ताहिक योग प्रक्रिया शुरू करे I जैसा की पतंजली ऋषि ने कहा है , योग चित वृति निरोध अर्थात चित की चंचलता पर रोकथाम ही योग है , मन की व्यग्रता ,चंचलता पर हम योग के द्वारा ही नियंत्रण  कर सकते है I अतः हम कह सकते है की मानव एवं मानवता के विकास  के लिए योग बहुत जरुरी है I

अतः करे योग ,रहे निरोग I    

राजेन्द्र सिंह

विवेकानंद केन्द्र रेवाड़ी , ब्रांच हरियाणा

विभाग सम्पर्क प्रमुख रेवाड़ी ,हरियाणा

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इ – मेल – rajinder.455@rediffmail.com