समावेशी विकास के लिए पर्यटन

विश्व पर्यटन दिवस प्रतिवर्ष 27 सितंबर को मनाया जाता है जिसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1980 में की गई थी। विश्व पर्यटन दिवस पर प्रतिवर्ष इसकी विषय वस्तु तय की जाती है, इस वर्ष अर्थात 2021 को विश्व पर्यटन दिवस का थीम “समावेशी विकास के लिए पर्यटन” या “Tourism For Inclusive Growth” है।

वर्तमान में जहां एक ओर पूरा विश्व महामारी, राजनैतिक अस्थिरता, आतंकवाद एवम प्राकृतिक आपदाओं से परेशान है वहीं दूसरी ओर इस वैश्विक महामारी से दुनिया में सबसे अधिक रोजगार देने वाले उद्योगों में शामिल पर्यटन उद्योग को सबसे अधिक क्षति पहुंची है।

मेरे विचार में यदि पर्यटन उद्योगों के सभी स्वरूपों को मिलाकर, प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से रोजगार/स्वरोजगार की संख्या की गणना की जाए तो अवश्य ही पर्यटन उद्योग सर्वाधिक रोजगार/स्वरोजगार सृजन करने वाला क्षेत्र है।

“समावेशी विकास के लिए पर्यटन” की अवधारणा को सही मायने में तभी साकार किया जा सकता है जब पर्यटन में अधिक से अधिक स्थानीय समुदाय की भागीदारी हो। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिले तथा पंचायत स्तर पर सशक्त कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है।

भारत देश गावों का देश है और इसके ह्रदय में गाँव बसता है। यहां धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक तथा प्राकृतिक महत्व के अनेक स्थल हैं जो किसी भी पर्यटन का अनिवार्य अंग हैं। भारत के विविध सांस्कृतिक रंगों, तीज त्योहारों, मेलों तथा विशिष्ट जीवन शैलियों के आधार पर यहाँ पर्यटन की अनंत संभावनाएं हैं।

बदलते वैश्विक परिवेश में भारत पर्यटन के नए स्वरूपों जैसे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन, हरित या ईको पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन आदि की मेजबानी करने में सक्षम है। देश की विभिन्न भाषाएं, संस्कृति एवम नैसर्गिक स्थल पर्यटन उद्योग के विकास के लिए सहायक हैं, आवश्यकता है तो सिर्फ प्रभावी कार्ययोजना बनाने की तथा उसके क्रियान्वयन की ताकि पर्यटन से समावेशी विकास संभव हो सके।

 

आलेख

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय
प्रसिद्ध उद्यमिता सलाहकार