बस्तर के द्वार पर स्थित एक ऐसा प्राकृतिक स्थल जहाँ आप जाना चाहेंगे

“जिन्दगी एक सफ़र है सुहाना, कहाँ कल क्या हो किसने जाना” दृष्यम फ़िल्म वाली पीली कार का स्टिरियो गाना बजा रहा था। इस गाने में यथार्थ भी है तो जीवन की अनिश्चितताएं भी। जीवन का सफ़र भी कुछ ऐसा ही सड़कों जैसा, टेढा-मेढा तो उबड़-खाबड़ सर्पीला। इस सफ़र पर चलकर ही जीवन पूर्ण होता है। हम भी चले जा रहे थे बस्तर की ओर। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वर्ग है तो इस स्वर्ग का प्राण बस्तर है।


प्राचीन बस्तर का प्रवेश द्वार हम केसकाल घाट को मानते हैं। इसके पूर्व मैदानी इलाका है तथा बस्तर में प्रवेश करने के लिए केसकाल घाट से ऊपर चढ़ना पड़ता है। मैने इस घाट को तब से देखा है, जब यहाँ किसी भी वाहन की चढ़ाई कठिन थी। सकरा रास्ता और कठिन मोड़, अच्छे से अच्छे ड्रायवर के पसीने छुड़ा देता था।
जब हम घाट चढ़कर ऊपर पहुंचते हैं तो तेलीन सत्ती का मंदिर है, इसके ऊपर वाले चक्कर पर एक रेस्ट हाऊस। इस सरकारी रेस्ट हाऊस से घाटी का सुंदर नजारा दिखाई देता है, पर आम आदमी के लिए यहाँ ठहरना कठिन था। रेस्ट हाऊस हमेशा वी आई पी के लिए आरक्षित रहता था तो आम लोग यहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद चाहकर भी नहीं सकते थे।


यहाँ एक स्थान की आवश्यकता थी कि जहाँ से आम आदमी भी घाटी का नजारा देख सके, आनंद ले सके, तब सड़क के उस पार केसकाल से लगभग डेढ़ किमी की दूरी पर घाटी में ही वन विभाग ने टाटामारी में एक ऐसा स्थल विकसित किया जिसमें आम लोग भी कुछ शुल्क देकर रात को ठहर सकते हैं।
इस स्थान को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने का श्रेय केसकाल के समाजसेवी श्री कृष्ण दत्त उपाध्याय जी को जाता है। उन्होंने वन विभाग के साथ प्रयास करके टाटामारी को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित कराया तथा उनके साथ तत्कालीन वन परिक्षेत्राधिकारी श्री नाग जी का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने इसे वर्तमान रुप देने में महती भूमिका निभाई।

श्री कृष्ण दत्त उपाध्याय जी के साथ लेखक


इस स्थान पर रात्रि विश्राम के लिए कई रुम हैं, जिन्हें आप पांच सौ से हजार रुपए देकर प्रतिदिन के किराये पर ले सकते हैं तथा भोजन के लिए दिन में वन प्रबंधन समिति द्वारा केन्टीन संचालित है। रात्रि कालीन भोजन की व्यवस्था नहीं है, आप केसकाल से भोजन लेकर आ सकते हैं या यहाँ के चौकिदारों को कह कर बनवाया जा सकता है।
वर्तमान में पानी की समस्या बनी हुई है क्योंकि यहां के पंप सोलर ऊर्जा से चलते हैं। जिसके कारण बरसात में पर्याप्त बिजली नहीं बन पाती एवं पानी की समस्या बनी रहती है। वन प्रबंधन समिति सुरडोंगर केसकाल के अध्यक्ष श्री बृजलाल वेद व्यास कहते हैं कि “अगर सरकार ध्यान दे तो यहाँ बिजली पहुंचाई जा सकती है, जो कि बहुत ही आवश्यक है। तभी यहाँ सुचारु रुप से पानी एवं अन्य संसाधन पर्याप्त रुप में मिल सकेगें।”

वन प्रबंधन समिति अध्यक्ष श्री बृजलाल वेदव्यास सुरडोंगर


श्री कृष्ण दत्त उपाध्याय कहते हैं कि शासन को पत्र लिख-लिख कर थक गए पर बिजली पहुंचाने के लिए बजट नहीं दिया गया है, वरना यह स्थान छत्तीसगढ़ के एक अच्छे पर्यटन स्थल के रुप में विकसित हो सकता है। फ़िर भी एडवेंचर की चाह रखने वाले घुमक्कड़ों के लिए यह आदर्श स्थल है।
जब रात को केसकाल घाटी से काकेंर की लाईटें दिखती है तो दृश्य अद्भुत हो जाता है। हाँ! हमने पहली बार यहाँ से मंगल ग्रह का भी चित्र लिया। आइए आप भी कभी इस स्थान से प्राकृतिक दृश्यों का आनंद उठाईए। रुम बुक करने के लिए वन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष बृजलाल वेदव्यास से 8103050373 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

2 thoughts on “बस्तर के द्वार पर स्थित एक ऐसा प्राकृतिक स्थल जहाँ आप जाना चाहेंगे

  • August 17, 2018 at 13:20
    Permalink

    छत्तीसगढ़ में ऐसे प्राकृतिक स्थान बचे हुए है, जानकर अच्छा लगा । कुदरत के निकट रहकर अपने आप से भी निकट आता जा सकता है । गुजरात मे भी कुछ जगह अभी बजी बची हुई है । जिसमे नर्मदा डेम के ऊपर के हिस्से की कुदरती संपत्ति से भरपूर हिस्से और रत्नमहाल के जंगल का भू भाग । रतन महल में तो कुछ मित्रो ने वहाँ की पानम नदी के नाम से पानम ट्राइबल फूड नाम का फूड जॉइंट खोलकर शुद्ध ट्राइबल फूड और कुदरत के बीच रहना मुमकिन किया है । मचान पर भी राह सकते है । उसी जंगल मे कही मिनरल पानी से भी शुद्ध पानी वाली बावली भी है । जिसका पानी वहाँ का अनुभवी साथी मिल जाय तो पीया जा सकता है ।

  • August 17, 2018 at 13:59
    Permalink

    सुंदर प्रस्तुति सुंदर तस्वीरों के साथ
    दिल मचल उठता है सब जगह देखने के लिए
    ✍️✍️✍️✍️✍️✍️?

Comments are closed.