नींव हूँ बुनियाद हूं
नींव हूँ बुनियाद हूं
हां मैं ही विकास हूं।
बाग में उद्यान में
संसद के हर मुकाम में
श्रमित धरोहर हूँ।
हां मैं मजदूर हूं।
नींव हूँ बुनियाद हूं
हां मैं ही विकास हूं।
बाग में उद्यान में
संसद के हर मुकाम में
श्रमित धरोहर हूँ।
हां मैं मजदूर हूं।
पांव के नीचे धरती जलती, सिर ऊपर आकाश,
जब जब आता है यह मौसम करने यहां प्रवास