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आस्था और प्रेम का प्रतीक तीजा तिहार

लोक परंपरा के अनुसार, तीजा के अवसर पर बेटियों को साड़ी उपहार में दी जाती है। छत्तीसगढ़ में एक कहावत भी प्रचलित है: “मइके के फरिया अमोल”—यानि मायके से मिले कपड़े का टुकड़ा भी अनमोल होता है। इस दिन माताएँ अपनी बेटियों के लिए चूड़ियाँ, फीते और सिन्दूर भी लाती हैं। तीजा की इस अनोखी परंपरा को निभाने का महत्व छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में गहराई से बसा हुआ है।

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विष्णु भैया का सजा घर तीजा-पोरा पर पारंपरिक नंदिया-बइला और खिलौनों से सुसज्जित हुआ आंगन

हरेली की तरह मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के रायपुर स्थित निवास में तीजा-पोरा का तिहार 2 सितम्बर को सुबह 11 बजे से उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री निवास परिसर में छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति-रिवाज के अनुसार साज-सज्जा की गई हैं। इस मौके पर नांदिया-बैला की पूजा की जाएगी। तीजा महोत्सव का आयोजन होगा। तीजा-पोरा त्यौहार के लिए कार्यक्रम में बहनों को आमंत्रित किया गया है।

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खमरछठ के माध्यम से जैव विविधता संरक्षण का संदेश

कमरछठ पर्व में उपयोग होने वाली सभी वनस्पतियों, जीवों और प्राकृतिक सामग्रियों का संरक्षण और संवर्धन किया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की जैव विविधता संरक्षण की अद्वितीय परंपरा को प्रदर्शित करता है, जिसमें वैज्ञानिकता और धार्मिकता का समन्वय है।

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लोक संस्कृति में छिपे हैं कई वैज्ञानिक आधार

लोक परम्पराओं और मान्यताओं का अध्ययन कर दस्तावेजीकरण किया जाएगा तथा वैज्ञानिक तथ्यों की व्याख्या की जाएगी। यही नहीं गणित जैसे नीरस विषय को बच्चों के अनुसार ग्राहय बनाने के लिए भी नई तकनीकों के लिए सहायक सामग्री का निर्माण किया जाएगा।

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नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी की संस्कृति को बचाना होगा: मुख्यमंत्री

राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में दस-दस गौठान का कंक्रीटीकरण किया जाएगा। जहां पर मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा एवं पानी की व्यवस्था होगी। चरवाहों को मानदेय भी दिया जाएगा।

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