श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और लोक शक्ति का प्रतीक आठे कन्हैया
छत्तीसगढ़ का लोक पर्व आठे कन्हैया, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव, भित्ति चित्र कला और दही लूट के उत्सव के माध्यम से लोक संस्कृति की झलक।
Read Moreछत्तीसगढ़ का लोक पर्व आठे कन्हैया, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव, भित्ति चित्र कला और दही लूट के उत्सव के माध्यम से लोक संस्कृति की झलक।
Read Moreमुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से आज उनके निवास कार्यालय में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोकसभा सांसद श्री मनोज तिवारी ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर श्री तिवारी का पारंपरिक शाल ओढ़ाकर तथा छत्तीसगढ़ की विशिष्ट बेलमेटल कला से निर्मित नंदी की प्रतिमा भेंट कर आत्मीय स्वागत किया।
Read Moreउड़िया कवि सरलादास ने 14 वीं शताब्दी में लिखा था कि भगवान जगन्नाथ को शबरीनारायण से पुरी ले जाया गया है। यहां भगवान नारायण गुप्त रूप से विराजमान हैं और प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा को सशरीर विराजते हैं। इस दिन उनका दर्शन मोक्षदायी होता है।
Read Moreछत्तीसगढ़ में शिवोपासना के साथ शक्ति उपासना प्राचीन काल से प्रचलित है। कदाचित इसी कारण शिव भी शक्ति के बिना शव या निष्क्रिय बताये गये हैं। योनि पट्ट पर स्थापित शिवलिंग और अर्द्धनारीश्वर स्वरूप की कल्पना वास्तव में शिव-शक्ति या प्रकृति-पुरूष के समन्वय का परिचायक है।
Read Moreउत्सवों का मानव जीवन से आदिकाल से गहरा नाता रहा है। यह केवल सामूहिक उल्लास और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम
Read Moreलोक परंपरा के अनुसार, तीजा के अवसर पर बेटियों को साड़ी उपहार में दी जाती है। छत्तीसगढ़ में एक कहावत भी प्रचलित है: “मइके के फरिया अमोल”—यानि मायके से मिले कपड़े का टुकड़ा भी अनमोल होता है। इस दिन माताएँ अपनी बेटियों के लिए चूड़ियाँ, फीते और सिन्दूर भी लाती हैं। तीजा की इस अनोखी परंपरा को निभाने का महत्व छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में गहराई से बसा हुआ है।
Read More