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दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायधीश यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लिया, विवादास्पद नकदी वसूली की वजह से लिया गया निर्णय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायधीश यशवंत वर्मा से उनके न्यायिक कार्यों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है। यह कदम उनके आवास से एक बड़ी राशि की नकदी की वसूली से जुड़ी विवादास्पद घटना के कारण उठाया गया। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा सोमवार को जारी किए गए एक नोटिस में यह जानकारी दी गई।

यह निर्णय भारतीय प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना के 22 मार्च के निर्देश के बाद लिया गया, जिसमें उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से न्यायधीश वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य सौंपने से रोकने की सलाह दी थी।

न्यायालय का नोटिस:

नोटिस में कहा गया, “हाल ही की घटनाओं के मद्देनजर, माननीय न्यायधीश यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है, जब तक अगले आदेश नहीं आते।” इसके साथ ही यह भी बताया गया कि न्यायालय के मास्टर द्वारा उन मामलों की नई तारीखें तय की जाएंगी जो न्यायधीश वर्मा के समक्ष सूचीबद्ध थे।

नकदी की वसूली और घटनाक्रम:

14 मार्च को न्यायधीश वर्मा के घर में आग लगने की घटना सामने आई थी, जिसमें अग्निशमन कर्मियों द्वारा भारी मात्रा में बिना हिसाब की नकदी की वसूली की गई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इस नकदी की वसूली का वीडियो दिल्ली पुलिस के आयुक्त द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजा गया था।

घटना के समय न्यायधीश वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली में नहीं थे, वे मध्य प्रदेश में यात्रा कर रहे थे। घर में आग लगने के समय केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां ही घर पर मौजूद थीं।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और जांच:

इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने निर्णय लिया कि न्यायधीश वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजा जाएगा। 21 मार्च को, प्रधान न्यायाधीश (CJI) ने इस विवाद की जांच के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया। समिति के गठन के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट भी प्रकाशित की, जिसमें न्यायधीश वर्मा का उत्तर भी शामिल था।

निष्कर्ष:

इस विवाद ने न्यायपालिका और सरकारी संस्थाओं के बीच पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। न्यायधीश वर्मा के खिलाफ जांच चल रही है और उनके खिलाफ कोई ठोस निर्णय आने से पहले उनका न्यायिक कार्य रद्द किया गया है। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या निर्णय लिया जाता है।

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