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बिलासपुर नगर निगम का संपत्तिकर सर्वे: नए स्लैब से टैक्स वसूली की तैयारी

बिलासपुर नगर निगम ने री-मैपिंग के बाद संपत्तिकर वसूली के लिए नए स्लैब की घोषणा की है। अब हर वह मकान और दुकान, जिन्होंने अतिरिक्त निर्माण किया है, टैक्स के दायरे में आएंगे। इस प्रक्रिया के तहत, नगर निगम ने दो वर्ष पहले ग्लोबल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) सर्वे करवाया था, जिसका उद्देश्य संपत्तिकर की चोरी को रोकना है। आइडब्ल्यूएमएस प्रणाली के माध्यम से नगर निगम अब पुन: सर्वे करवा रहा है।

पुरानी दरों पर टैक्स जमा कर रहे संपत्तिकर

सर्वे के दौरान नगर निगम ने पाया कि कई मकान ऐसे हैं, जो पुराने रिकॉर्ड के आधार पर संपत्तिकर जमा कर रहे हैं। ये संपत्तियाँ वास्तविक निर्माण के मुकाबले अधिक टैक्स की पात्रता रखती हैं। इसमें रसूखदारों, राजनीतिक हस्तियों, बिल्डरों और व्यवसायियों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने नई इमारतें बनाई हैं लेकिन पुरानी दरों पर ही टैक्स जमा कर रहे हैं। नगर निगम 2016-17 की पुरानी दरों को बदलकर नए सर्वे के अनुसार संपत्तिकर वसूलने की योजना बना रहा है।

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नए फॉर्मेट के तहत संपत्तिकर वसूली

नगर निगम ने संपत्तिकर वसूली के लिए नया फॉर्मेट तैयार किया है। पहले 2016-17 की दरों से टैक्स लिया जाता था, लेकिन नए क्षेत्र जुड़ने और जीआइएस सर्वे के परिणामस्वरूप अब नए स्लैब लागू किए जा रहे हैं। निगम ने वित्त वर्ष 2022-23 से जीआइएस सर्वे के आधार पर संपत्तियों की सूची वेबसाइट पर अपलोड की है, जिसमें भवन मालिक का नाम, खाता नंबर, प्लॉट और मोबाइल नंबर की जानकारी शामिल है।

घर-घर सर्वे और री-मैपिंग का कार्य

नगर निगम की टीम आइडब्ल्यूएमएस के तहत भवन, मकान और दुकानों की री-मैपिंग कर रही है। इसके लिए नगर निगम के कर्मचारी घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, एक जोन का काम पूरा हो चुका है और अन्य जोनों में री-मैपिंग का कार्य जारी है।

पीएचई विभाग की नल जल योजना में देरी

इस बीच, पीएचई विभाग की हर घर नल योजना भी समय पर पूरी नहीं हो पाई है। 2021 में शुरू हुई इस योजना का लक्ष्य मार्च 2024 तक 2,46,673 घरों में नल से पानी पहुंचाना था, लेकिन अब इसे दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। अभी भी जिले के 68,233 घर ऐसे हैं, जो नल कनेक्शन से वंचित हैं।

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योजना में देरी: प्रमुख कारण और चुनौतियाँ

नल जल योजना में देरी का मुख्य कारण विभिन्न विभागों से नल पाइपलाइन बिछाने और पानी की टंकी निर्माण के लिए भूमि की अनुमति प्राप्त करना है। इन विभागीय अनुमतियों में हो रही देरी के साथ-साथ बारिश भी एक कारण बनी है, जिसके चलते बोर उत्खनन का कार्य प्रभावित हुआ। बारिश के बाद उत्खनन कार्य में तेजी लाने की योजना है।

जिले के 32 गांवों के 8,320 घरों में नल कनेक्शन और पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा हो चुका है, जबकि 11 गांवों में 2,124 घरों को नल से जल पहुंचाया गया है।