एडवेंचर के शौकीन है तो एक्सप्लोर कीजिए छत्तीसगढ़ में गुफ़ाएं

वनवासी कहते हैं कि त्यौहारों के अवसरों पर इस गुफ़ा से मुहरी, चांग, डफ़ड़ा आदि प्राचीन वाद्ययंत्रों की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। आज तक यह रहस्य बना हुआ कि प्राचीन काल में बजाए जाने वाले इन वाद्यों का वादन त्यौहारों के अवसर कौन करता है?

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ट्रेकिंग-हाईकिंग, प्राचीन इतिहास एवं वन्य रोमांच का आनंद लेना है तो चलिए सिंघाधुरवा

हम आपको ऐसे स्थान पर ले चलते हैं जहाँ नदी, नाले, पहाड़, झरने जैव विविधता, पशु पक्षी, हरियाली एवं इतिहास तथा ग्रामीण संस्कृति से जुड़े किस्से कहानी आदि सारी चीजें मिलेंगी।

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भूल गए क्या सांप नेवले की लड़ाई, देखिए प्राचीन मंदिर के भित्ति चित्रों में

सांप और नेवले की कहानी महाभारत से लेकर हितोपदेश तक उपलब्ध होती है। सांप एवं नेवले की लड़ाई किसी जमाने में जन मनोरंजन एवं कौतुक का विशेष साधन था। बचपन में सांप एवं नेवले की लड़ाई खूब देखी।

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चिंगरापगार की वादियों में गुंजती कचना घुरुवा की अमर प्रेम कहानी

शस्य श्यामला भूमि छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने अपने हाथों से संवारा है एवं इसे अकूत प्राकृतिक खजाना सौंपा है। इसके चप्पे चप्पे में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा है तो साथ ही सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक लोक गाथाएं भी बिखरी पड़ी हैं।

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जानिए ऐसा क्या है इस बावड़ी में जो लोग देश-विदेश से देखने चले आते हैं

पाटण पुराण प्रसिद्ध सरस्वती नदी के किनारे पर चपोतकट -चावड़ा राजा वनराज चावड़ा का बसाया हुआ शहर है। उसे अनहिलपुरा, अनहिलवाडा, अनहिल पाटक, अनालावता के नाम से और पुराने दौर के मुस्लिम लेखकों के इतिहास के पुस्तको में नाहरवाला के नाम से जाना जाता था।

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जानिए कांगेर घाटी की गुफ़ाएँ पर्यटकों के लिए क्यों और कब तक के लिए बंद की गई

राज्य सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने बस्तर जिले के प्रसिद्ध कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत समस्त गुफाओं को इस महीने की 15 तारीख से बंद करवा दिया है। 

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