\

समस्या ही समाधान की जन्मदात्री है : मनकही

मनुष्य को जीवन में इन समस्या, परेशानी, मुसीबत आदि शब्दों से सामना करना पड़ता ही है, शायद ही किसी मनुष्य

Read more

मित्रता बंधनमुक्त स्वनिर्मित अनमोल होती है : मनकही

ॠग्वेद कहता है -समानः मन्त्रः समितिः समानी, समानं मनः, सः चित्तम् एषाम (हों विचार समान सबके, चित्त मन सब एक हों।) विचारों की समानता एवं चित्त मन के एकसार होने पर निश्छल मित्रता होती है, जिसकी कोई पार नहीं पा सकता। ऐसी मित्रता के कई उदाहरण हमें वांग्मय एवं समाज में मिलते हैं।

Read more

जीवन और संघर्ष एक दूसरे के पूरक : मनकही

कहते हैं माल खाये गंगाराम और मार खाये मनबोध। जीवन में ऐसा भी होता है कभी-कभी। मनुष्य को न जाने

Read more

क्राऊड फ़ंडिंग : स्वरोजगार के लिए पूंजी की व्यवस्था

कोई भी उद्यमी जब अपने व्यापार एवं व्यवसाय की परिकल्पना को आकार देने की सोचता है तब बहुत सारी  तकनीकि  समस्याएं मष्तिष्क में आने लगती है जैसे व्यापार की स्थापना के लिए एक अच्छी व्यापार योजना

Read more

“ज्ञान की बात” स्तंभ में जानिए रोजगार के लिए आवश्यक अहर्ताएँ ज्ञानेन्द्र पाण्डेय से

बढ़ती बेरोजगारी और महंगी होती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ने मध्यम  वर्गीय परिवारों को एक चिरस्थाई घोर हताशा में ला खड़ा किया है। सरकार की विभिन्न योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की जटिल प्रक्रियाओं ने जरूरतमंदों को ऐसे दोरस्ते पर ला खड़ा किया है जहाँ से या तो उन्हें सिर्फ काम चलाऊ अस्थाई रोजगार से काम चलाना पड़ता है।

Read more