अपने मरे ही स्वर्ग दर्शन : मनकही
मन पछितहिएँ अवसर बीते अर्थात समय रहते कुछ नहीं किया दूसरे के भरोसे बैठे रहे और आज पछताने के सिवाय कुछ नहीं मिला। तभी तो कबीर दास जी ने कहा है–
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Read moreमन चंचल होता है, मन की गति अत्यधिक तीव्र होती है। जीवन में सुख-दुःख क्या है? मन के भाव ही
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Read moreवर्तमान समय में पूरा देश डर-डर कर जी रहा है, पर कोरोना इतना डर का रोग नहीं जिस तरह से
Read moreप्रकृति संगीतमय है तथा नृत्य प्रकृति का मूल तत्व है। प्रकृति के साथ चराचर जगत के जीव आनंद के साथ
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