हमारे नायक

futuredधर्म-अध्यात्महमारे नायक

सामाजिक पुनर्जागरण के सूत्रधार श्रीराम शर्मा आचार्य

आचार्य श्री राम शर्मा की विरासत उनके साहित्य और संस्थानों के माध्यम से जीवित है। उनकी 3,200 से अधिक पुस्तकें जीवन के हर पहलू को छूती हैं और समकालीन समस्याओं के व्यावहारिक समाधान प्रदान करती हैं।

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सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अग्रदूत: पुण्यश्लोका अहिल्याबाई

पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई ऐसी ही विलक्षण विभूति थीं, जो पूरे भारत राष्ट्र, समाज और संस्कृति के लिये समर्पित रहीं। वे एक छोटे से राज्य इंदौर की शासक थीं, पर उनके हृदय में पूरा भारत राष्ट्र समाया हुआ था।

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futuredइतिहासहमारे नायक

स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक महाराणा प्रताप का शौर्य

भारतीय इतिहास में स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में अमर हैं। उनका जन्म 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़, राजस्थान में हुआ और उन्होंने अपने जीवन में मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया।

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स्वातंत्र्य वीर सावरकर की दृष्टि में हिन्दुत्व और अखंड भारत की संकल्पना

विनायक दामोदर सावरकर (1883-1966) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख विचारक, क्रांतिकारी, और लेखक थे। उनकी विचारधारा, जिसे उन्होंने “हिन्दुत्व” के रूप में परिभाषित किया

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राजा राममोहन राय : जिन्होंने समाज सुधार के साथ भाषायी पत्रकारिता की बुनियाद रखी

भारत की महान विभूतियों में राजा राममोहन राय का नाम आज भी सम्मान के साथ याद किया जाता है। आज, 22 मई को, उनकी जयंती है।  

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20 मई 1932 सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी विपिन चंद्र पाल का निधन

स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता विपिन चंद्र पाल न केवल एक क्रांतिकारी चिंतक थे, बल्कि उन्होंने आंदोलन को वैचारिक आधार देने के साथ-साथ देशभर में जनजागरण की लहर भी चलाई। “लाल, बाल, पाल” की त्रिमूर्ति में एक प्रमुख स्तंभ रहे पाल ने बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी हुकूमत को खुली चुनौती दी और स्वदेशी आंदोलन की आधारशिला रखी।

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