राजनांदगांव को राष्ट्रीय स्तर पर दो बड़े सम्मान, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
मंगलवार का दिन राजनांदगांव जिले के लिए विशेष गौरव लेकर आया। राष्ट्रीय जल मिशन के तहत जिले को एक साथ दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया—राष्ट्रीय जल पुरस्कार तथा जल संचय से जनभागीदारी पुरस्कार। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने यह सम्मान सौंपा।
ईस्ट जोन का ‘सर्वश्रेष्ठ जिला’ चुना गया राजनांदगांव
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कई चरणों के निरीक्षण और मूल्यांकन के बाद राजनांदगांव जिले को ईस्ट जोन का बेस्ट जिला घोषित किया गया। यह पुरस्कार जिले के कलेक्टर जितेंद्र यादव एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सूरूचि सिंह ने ग्रहण किया।
मिशन जल रक्षा ने दिलाई बड़ी उपलब्धि
उसी कार्यक्रम में जिले को जल संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए दो करोड़ रुपये का प्रोत्साहन पुरस्कार भी मिला। यह सम्मान वर्ष 2022 में शुरू किए गए मिशन जल रक्षा—नारी शक्ति से जल शक्ति अभियान के प्रभावी संचालन का परिणाम माना जा रहा है। इस मिशन में आम नागरिकों, महिलाओं, सामाजिक संस्थाओं, उद्योगों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भू-जल संकट ने बढ़ाई चुनौती
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार जिले के तीन विकासखंड भू-जल स्तर के लिहाज से ‘सेमी-क्रिटिकल’ श्रेणी में आते हैं। जिले में 85% भू-जल का उपयोग सिंचाई के लिए, 13% घरेलू कार्यों के लिए और 2% औद्योगिक उपयोग में होता है। लगातार गिरते जल स्तर को देखते हुए जिले ने जल शक्ति अभियान—कैच द रेन, मोर गांव मोर पानी के अंतर्गत व्यापक योजना तैयार कर कार्य किया।
भू-जल रिचार्ज के लिए अभिनव तकनीकें अपनाई गईं
जिले ने वर्षाजल संरक्षण और रिचार्ज बढ़ाने के लिए कई तकनीकी नवाचार किए, जिनमें शामिल हैं—
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रिचार्ज सॉफ्ट बोरवेल और सेंड फिल्टर तकनीक से असफल बोरवेल का पुनरुद्धार
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परकुलेशन टैंकों में इंजेक्शन वेल बनाकर वर्षाजल को सीधे वाटर टेबल तक पहुँचाना
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नए बोरवेल के साथ इंजेक्शन वेल का निर्माण
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पहाड़ी क्षेत्रों में रिचार्ज संरचनाएँ और निम्न भू-भागों में जल-संग्रहण संरचनाएँ
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पुरानी संरचनाओं की मरम्मत और संरक्षण
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जीआईएस आधारित योजनाएँ तैयार करना
इन सभी कार्यों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की सक्रिय भागीदारी दर्ज की गई। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, रायपुर ने जीआईएस पद्धति का प्रमाणीकरण करते हुए तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण भी दिया।
राजनांदगांव को मिली राष्ट्रीय पहचान
इन सतत प्रयासों ने न केवल जिले को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई, बल्कि भू-जल संकट से निपटने की दिशा में एक प्रेरक मॉडल भी प्रस्तुत किया। जल प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी का यह समन्वित प्रयास अब पूरे देश में उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।

