कनाडा में G-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी, द्विपक्षीय बैठकों का भी कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को कनाडा के कनानास्किस पहुंचे, जहां वे 16-17 जून को होने वाले G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक मानी जा रही है, क्योंकि पिछले एक दशक में यह उनकी पहली कनाडा यात्रा है।
विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस बार शिखर सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसे अत्याधुनिक वैश्विक मुद्दों पर चर्चा केंद्रित रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी न केवल G-7 देशों के नेताओं, बल्कि आमंत्रित अन्य देशों के प्रमुखों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
मोदी अपनी तीन देशों की विदेश यात्रा के दूसरे चरण में सोमवार रात (स्थानीय समयानुसार) साइप्रस से कनाडा पहुंचे। उनकी यह यात्रा कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के आमंत्रण पर हो रही है, जिन्होंने हाल ही में पदभार संभाला है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली उच्चस्तरीय कूटनीतिक पहल
इस सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी कई द्विपक्षीय बैठकों में भी भाग लेंगे। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिए हुए महज कुछ सप्ताह ही बीते हैं। ऐसे में सुरक्षा और आतंकवाद पर चर्चा की संभावना भी जताई जा रही है।
भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद
कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा पीएम मोदी को आमंत्रित किया जाना दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में संभावित सुधार की ओर संकेत करता है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा द्वारा लगाए गए आधारहीन आरोपों के चलते भारत-कनाडा संबंधों में अभूतपूर्व गिरावट आई थी।
हालांकि हाल के महीनों में दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों के बीच संवाद फिर से शुरू हुआ है और उच्चायुक्तों की नियुक्ति को लेकर भी सकारात्मक संकेत मिले हैं। विदेश मंत्रालय ने बीते सप्ताह कहा था कि भारत और कनाडा दोनों ही ‘जीवंत लोकतंत्र’ हैं और प्रधानमंत्री स्तर पर होने वाली यह बैठक रिश्तों को फिर से परिभाषित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह छठवीं बार है जब वे लगातार G-7 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। ऐसे में वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका और आवाज़ को और मज़बूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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