वक्फ कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद में भड़की सांप्रदायिक हिंसा, तीन की मौत, 1,093 सोशल मीडिया अकाउंट्स बंद
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में पिछले सप्ताह हुई हिंसा ने इलाके को हिला कर रख दिया। अफवाहों, सोशल मीडिया पर भ्रामक संदेशों और बड़े पैमाने पर भीड़ के जमावड़े ने एक गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी। हिंसा में अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है और प्रशासन ने 1,093 फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करते हुए 221 लोगों को गिरफ्तार किया है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
हिंसा की शुरुआत 8 अप्रैल को हुई जब उमरपुर इलाके में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। नेशनल हाइवे-12 पर दो पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इसके बाद स्थिति लगातार बिगड़ती गई। 11 अप्रैल को हालात सबसे अधिक तनावपूर्ण हो गए जब साजुरमोड़ और डाकबंगला इलाके में प्रदर्शनकारियों ने कई बसों, निजी वाहनों, पुलिस जीपों और दुकानों में आगजनी की।
गाँवों में फैला तनाव, हुई जानलेवा हिंसा
गांवों में भी तनाव फैल गया। जाफराबाद में हरगोबिंदो मंडल और उनके बेटे चंदन मंडल को घर से घसीटकर बाहर निकाला गया और बेरहमी से मार डाला गया। सूर्यमोड़ में पुलिस की फायरिंग में तीन युवक घायल हो गए, जिनमें से एक, एजाज़ अहमद, की बाद में मौत हो गई।
सोशल मीडिया बनी भड़काने का ज़रिया
पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन के अनुसार, हिंसा से पहले सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर भ्रामक और भड़काऊ संदेशों की बाढ़ आ गई थी। “धार्मिक स्थलों, कब्रिस्तानों और ज़मीन पर अधिकार छीनने” जैसे दावे किए जा रहे थे, जिससे लोगों में डर और गुस्सा पैदा हुआ।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “इन संदेशों ने यह आभास दिया कि धार्मिक स्वतंत्रता और पूजा के अधिकार खतरे में हैं। कई फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाए गए ताकि इस अफवाह को तेजी से फैलाया जा सके।”
ईद के दौरान लौटा था युवा वर्ग
स्थानीय निवासी ने बताया कि “ईद के मौके पर हज़ारों युवा जो अन्य शहरों में काम करते हैं, गांव लौटे थे। एजाज़ अहमद चेन्नई के एक होटल में काम करता था और 13 अप्रैल को वापस जाने वाला था।”
पुलिस का दावा: भीड़ थी संगठित, हिंसा थी योजनाबद्ध
पुलिस के अनुसार, 11 अप्रैल को जब NH-12 पर हिंसा चरम पर थी, तभी अंदरूनी गांवों में भी दंगे भड़क उठे। पुलिस को साजुरपुर क्रॉसिंग पर चार राउंड गोलियां चलानी पड़ीं ताकि भीड़ को तितर-बितर किया जा सके।
पीड़ितों की दर्दभरी कहानी
बेड़बोना गांव के 65 वर्षीय राम कुमार मंडल ने बताया, “हमारे गांव पर शुक्रवार शाम हमला हुआ। शनिवार को सुबह 10 से 1 बजे के बीच घरों में तोड़फोड़, लूट और आगजनी हुई। मेरा घर जल चुका है और अधिकांश ग्रामीण नदी पार कर मालदा चले गए हैं।”
जांच और कार्रवाई जारी
ADG (कानून-व्यवस्था) जावेद शमीम ने कहा, “हम केवल पत्थरबाज़ों और आगज़नी करने वालों को ही नहीं, बल्कि भड़काने वालों को भी खोज रहे हैं। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।” उन्होंने कहा कि अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा बंद की गई थी।
शमीम ने यह भी इशारा किया कि इसमें कुछ कट्टरपंथी संगठनों या बाहरी तत्वों की भी भूमिका हो सकती है, क्योंकि मुर्शिदाबाद बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है और झारखंड भी केवल छह किलोमीटर दूर है।
ADG सुप्रतीम सरकार ने बताया कि पिता-पुत्र की हत्या के मामले में एक विशेष जांच टीम गठित की गई है और अब तक दो गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।