आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की आपदा को अवसर में बदलने की सकारात्मक सोच

छत्तीसगढ़ राज्य की आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान आपदा को अवसर में बदलने के सकारात्मक सोच को चरितार्थ कर रहा है। 2007 बैच की आई.ए.एस. शम्मी आबिदी की कोरोना काल के दौरान ही संस्था के संचालक के रूप में पदस्थापना हुई। संस्था में आते ही उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व में संस्था की नई इबारत लिखने की ठान ली।

शुरू में छत्तीसगढ़ राज्य पुनर्गगठन के पश्चात् म.प्र.से विभाजित नये छत्तीसगढ़ का टी.आर.आई.के कार्यों की वर्षवार समीक्षा की। एक अकादमिक संस्था के लिए सर्वोपरी है वहां के अनुसंधान कार्य का प्रकाशन संचालक महोदया के मार्गदर्शन में सर्वप्रथम संस्थान से जितने भी अनुसंधान प्रतिवेदन, मुल्यांकन प्रतिवेदन, जनजातियों का मानव वैज्ञानिक अध्ययन, नृजातीय अध्ययन, मोनोग्राफ अध्ययन भाषा-बोली संबंधी अध्ययन, अन्य तरह के अध्ययन प्रतिवेदनों को विभागीय बेबसाईट में अपलोड करवाया गया।

उन्होंने राज्य की जितनी भी जनजाति हैं सभी का ’’छत्तीसगढ़ की जनजातियों के छायांकित अभिलेखकरीण श्रृंखला’’ के अन्तर्गत बहुत ही सुंदर फोटो हैण्ड बुक तैयार करवाकर प्रकाशन करवाया। जिसका विगत दिनों माननीय मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री व सचिव महोदय द्वारा विमोचन किया गया। साथ ही साथ राज्य के प्रायः सभी मेले-मंडई संस्कृति का मोनोग्राफ अध्ययन करवाकर प्रकशित करवाया गया।

मै इसके पीछे छुपी उनकी सकारात्मक सोच को सलाम करता हूँ। वो सोचती है कि आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान एक प्राधीकृत शासकीय संस्था है यहां से तैयार हर अनुसंधान प्रतिवेदन में गुणवत्ता व विश्वसनीयता विद्यामान होता है, इसलिए हर उन शोधार्थियों व प्रतियोगी परीक्षा में सहभागिता करने वाले परीक्षार्थियों के जरूरतों कों दृष्टिगत करते हुए/अध्ययन सामग्रियों की कमी को दूर करने हेतु हमें उत्कृष्ट प्रकाशन उपलब्ध करवाना होगा। संचालक महोदया की सोच ने वर्ष भर में प्रकाशन की अंबार लगा दिया। न सिर्फ प्रकाशन करवाया बल्कि हर एक प्रकाशन को विभाग के वेबसाईट पर पढ़ने के लिए सर्वसुलभ करवाया।

मुख्यालय नवा रायपुर में एक सुंदर कार्यालय व संग्रहालय भवन बनकर तैयार हैं जिसमें संग्रहालय में जनजातीय जीवन शैली के लिए गैलरीवार वस्तुओं का संग्रहण कार्य जारी है। बिलासपुर, अम्बिकापुर व जगदलपुर तीन क्षेत्रीय इकाईयाँ भी संस्थान के अभिन्न हिस्से हैं।

राज्य के आदिमजाति अनुसंधान संस्थान द्वारा जब नई इबारत लिखी जा रही है ऐसे में एक प्रभारी उपसंचालक के तौर पर क्षेत्रीय ईकाई जगदलपुर में पदस्थ होकर संचालक महोदया के मार्गदर्शन में आपदा को अवसर में बदलने की सकारात्मक सोच के साथ काम करना सुखद अनुभव है। संचालक महोदय के मार्गदर्शन में राज्य के आदिमजाति अनुसंधान संस्थान को एक अग्रणी संस्थान में से स्थापित करने की संकल्पना हमें सदैव उर्जावान बनाती रहेगी और हम अवश्य ऐसा कर पांएगे।

आलेख

(डॉ.रूपेन्द्र कवि)
         उपसंचालक
आदिमजाति अनुसंधान एवं          प्रशिक्षण संस्थान
         क्षे.ई.जगदलपुर