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वैदिक पुनर्जागरण के अग्रदूत स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्वामी जी भले असमय संसार छोड़ गये पर उनकी शिक्षाएँ, संदेश और संस्था ‘आर्यसमाज’ के माध्यम से वैदिक आन्दोलन भारतीय इतिहास में अमर है।

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अमर शहीद क्रांतिकारी भगत सिंह

युवता के योग्यतम प्रतीक सरदार भगत सिंह के इस महान बलिदान और त्याग ने देश के जन मानस में आजादी की ऐसी तड़प पैदा कर दी, एक ऐसी क्रांति की अलख जगा दी कि परिणाम स्वरूप देश का हर व्यक्ति आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए, बलिदान होने के लिए स्वेच्छा से आगे आने लगा। भगत सिंह केवल एक नाम ही नहीं अपितु एक श्रेष्ठ विचारधारा हैं

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स्वदेशी और स्त्री शिक्षा की प्रणेता : दुर्गाबाई देशमुख

दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा क्षेत्र के अंतर्गत राजामुंद्री में हुआ था। उनके पिता रामाराव भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। जब वे दस वर्ष की थीं, तब पिता का निधन हो गया। उनकी माता कृष्णावेनम्मा भी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी थीं और कांग्रेस की सचिव बनीं।

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