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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बढ़ते कदम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 100 वर्षों में हिंदू समाज को एकजुट करने और राष्ट्रीयता का भाव जागृत करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। संघ की शाखाओं की संख्या 83,000 से अधिक हो चुकी है, और इसके कार्य 53 देशों में फैल गए हैं। संघ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता को हर व्यक्ति तक पहुँचाना है।

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विश्व शांति एवं समृद्धि के लिए हिंदुओं को एक करने का प्रयास करता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

वैश्विक अशांति के बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत में समरस और संगठित हिंदू समाज निर्माण का प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव में भारत की प्राचीन संस्कृति के महत्व और राष्ट्र के विकास के लिए सनातन संस्कारों के पालन पर जोर दिया गया है। संघ के प्रयासों से सामाजिक समरसता, पर्यावरणीय जागरूकता और नागरिक कर्तव्यों की भावना बढ़ रही है।

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वैदिक पुनर्जागरण के अग्रदूत स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्वामी जी भले असमय संसार छोड़ गये पर उनकी शिक्षाएँ, संदेश और संस्था ‘आर्यसमाज’ के माध्यम से वैदिक आन्दोलन भारतीय इतिहास में अमर है।

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पृथ्वी पर सनातन संस्कृति का महाकुंभ प्रयागराज में

कुंभ मेला सनातन परंपरा की सर्वोच्च तीर्थ यात्रा करते लोग नदियों में स्नान कर ज्ञान की पिपासा लिए संत समागम करते हैं। मोक्ष की आस लिए सर्वस्व दान करते हैं, जहां चहुंओर मंत्रोच्चार अनहद नाद ध्वनित होते हुए महसूस होता है। ऐसे सुंदरतम दृश्य को निहारने अपार जनसमूह आ जुटता है कुंभ के मेला में…!

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स्वाधीनता से अखंडता की ओर भारत का संघर्ष और संभावनाएँ

भारत पर शक, हूण, कुषाण एवं यवन के आक्रमण हुए, परंतु भारत पर उनके कुछ समय के शासन के पश्चात वे भारतीय सनातन संस्कृति में ही रच बस गए एवं भारत का हिस्सा बन गए। परंतु, अरब के देशों से मुसलमान एवं ब्रिटेन से अंग्रेजों के भारत पर चले शासन के दौरान उन्होंने भारतीय नागरिकों का बलात धर्म परिवर्तन करवाया, स्थानीय नागरिकों पर अकल्पनीय अत्याचार किए। भारत के बड़े बड़े प्रतिष्ठानों, मंदिरों एवं ज्ञान के स्थानों को नष्ट किया।

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विश्व शांति के लिए आवश्यक है सनातन संस्कृति का वैश्विक प्रसार

यूरोप में हाल ही में सम्पन्न हुए चुनावों में दक्षिणपंथी कहे जाने वाले दलों की राजनैतिक ताकत बढ़ी है। हालांकि

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