अमिट रही पहचान – कविता
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
इन्हीं सूत्र से संभव है अब भारत का निर्माण
त्याग और सेवा भारत के दो आदर्श महान
इन्हीं सूत्र से संभव है अब भारत का निर्माण
रेल मंडल कार्यालय बिलासपुर में रामधारी सिंह दिनकर की 116वीं जयंती का भव्य आयोजन हुआ।
Read moreहिन्दू हिंदी हिंन्दीस्तान के स्वप्नों को हमने देखा है, सार्वभौमिकता के सिंद्धातों से वतन को हमने सींचा है।
Read moreबुद्ध प्रसन्न होंगे ——
निर्मल सरोवरों में अधडूबे, हंसों की तैराहट पर, जिसमें खेलती हो मछलियां, निर्द्वंद, निर्विरोध, निर्विवाद, बुद्ध प्रसन्न होंगे –नदियों की निर्मलता से, उनके जर्जर, कर्कग्रस्त शरीर से मुक्त होने पर, जिन्हें हम केवल अपने स्वार्थ के लिए, साधते जा रहे हैं। बालुओं का होता शहरीकरण. ग अपहरण है नदियों का
बहुत सरल है राम समझना कठिन कथा सीता की। जिसने अपनी त्याग तपस्या किए सिद्ध गीता सी। चरित परम पावन
Read moreनींव हूँ बुनियाद हूं
हां मैं ही विकास हूं।
बाग में उद्यान में
संसद के हर मुकाम में
श्रमित धरोहर हूँ।
हां मैं मजदूर हूं।