स्वतंत्रता संग्राम

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भारतीय स्वाभिमान, स्वाधीनता और संस्कृति की प्रतीक : वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई

स्वाभिमान, स्वाधीनता और संस्कृति की रक्षा के लिये भारत में असंख्य बलिदान हुए हैं, तब जाकर हमने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता का सूर्योदय देखा। इन बलिदानों में रानी लक्ष्मीबाई का अनूठा बलिदान भी है, जिन्होंने अपनी अंतिम श्वास तक संघर्ष किया।

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क्रांतिकारी नानक भील का बलिदान: अंग्रेजों की गोली सीने पर खाकर दिया किसानों की आवाज को नया जीवन

13 जून 1923 को डाबी में अंग्रेजों की गोली से शहीद हुए नानक भील ने किसान शोषण के खिलाफ आंदोलन चलाया और वनवासी समाज को जागरूक किया।

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सिर्फ़ तीस साल की उम्र में शहीद हो गए रामप्रसाद आज महान योद्धा, अमर शहीद की जयंती

यह आलेख अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की जयंती पर उनके क्रांतिकारी जीवन, साहित्यिक योगदान और शहादत की स्मृति को समर्पित है।

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बंगला भाषी प्रदेश में जन्मी हिन्दी पत्रकारिता : हिन्दी पत्रकारिता की यात्रा

नारद जयंती के दिन आया उदन्त मार्तण्ड यानी उगता हुआ सूरज वह नारद जयंती का दिन था। हम भारतीय लोग अपने पौराणिक आख्यानों के अनुसार देवर्षि नारद को दुनिया का पहला पत्रकार मानते हैं,

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कलम में ही वह शक्ति है, जो समाज को बदल सकती है : हिंदी पत्रकारिता दिवस

हिंदी पत्रकारिता का इतिहास न केवल एक भाषा के माध्यम का विकास है, बल्कि यह भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक चेतना का दर्पण भी है।

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भगतसिंह के प्रेरणास्रोत और गदर क्रांति के अग्रदूत

उन्हीं दिनों प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। तब करतार सिंह भारत आ गये। जनवरी 1914 में समाचार पत्र ‘गदर’ का गुरुमुखी संस्करण आरंभ हुआ। लाला हरदयाल जी इसके संपादक और करतार सिंह उपसंपादक बने।

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