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डॉ. रमन सिंह ने किया “कोसल के क्रांतिवीर” पुस्तक का विमोचन, क्रांतिकारियों की गाथा को दी ऐतिहासिक पहचान

डॉ. रमन सिंह ने ‘कोसल के क्रांतिवीर’ पुस्तक का विमोचन किया, जो छत्तीसगढ़ और पश्चिम ओड़िशा के भूले-बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उजागर करती है।

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स्वतंत्रता के प्रहरी : बाबू कुँअर सिंह

न आयु बाधा बनी। वे भारत की स्वाधीनता के लिए न्यौछावर हो गए। ऐसे ही बलिदानी थे बाबू कुँअर सिंह, जिन्होंने हाथ में बंदूक लेकर अस्सी वर्ष की आयु में क्रांति का मोर्चा संभाला।

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छापामार युद्ध के उस्ताद तात्या टोपे एवं उनकी सैन्य रणनीति

सुप्रसिद्ध बलिदानी तात्या टोपे संसार के उन विरले सेनानायकों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल एक व्यापक क्रांति का संचालन किया, बल्कि क्रांति के अधिकांश नेताओं के बलिदान के बाद भी लगभग एक वर्ष तक अकेले अपने पराक्रम से उस क्रांति को जीवंत रखा और पूरे भारत में अंग्रेजों को छकाया।

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ऐतिहासिक ‘नमक सत्याग्रह’ के आज पूरे हुए 95 साल

क्या आपको याद है कि आज 6 अप्रैल की तारीख़ हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक यादगार दिवस के रूप में दर्ज है ? यही वह यादगार दिन है, जिसे हममें से अधिकांश लोग भूल गए हैं, जब 95 साल पहले 6अप्रैल 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में उनके साबरमती आश्रम से दांडी के समुद्रतट तक 358 किलोमीटर लम्बी एक ऐतिहासिक पैदल यात्रा सम्पन्न हुई थी।

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एक साहसी योद्धा की अमर कहानी : झलकारी बाई

न तो स्वयं के लिये राज्य प्राप्ति की चाह थी और न अपना कोई हित। पर उन्होंने संघर्ष किया और जीवन की अंतिम श्वांस तक किया। वे जानतीं थीं कि उनके संघर्ष का अंत विजय नही है अपितु जीवन का  बलिदान है। फिर भी उन्होंने प्राणपण का संघर्ष किया और रानी लक्ष्मीबाई सुरक्षित कालपी पहुँचाया।

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उत्कल दिवस पर मधुसूदन दास को अर्पित की श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उत्कल दिवस पर रायपुर में बैरिस्टर मधुसूदन दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। उन्होंने ओडिशा स्थापना दिवस को आत्मगौरव और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताते हुए उत्कल समाज के योगदान की सराहना की।

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