होलिका दहन का वैदिक, पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व
वैदिक काल में इस पर्व को नवासस्येष्टि यज्ञ कहा गया। उस समय अधपके अन्न को यज्ञ में दान कर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता था। इस अन्न को होला कहते थे। अतः इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा।
Read moreवैदिक काल में इस पर्व को नवासस्येष्टि यज्ञ कहा गया। उस समय अधपके अन्न को यज्ञ में दान कर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता था। इस अन्न को होला कहते थे। अतः इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा।
Read moreमहाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज, 28 जनवरी 2025 तक, लगभग 10 करोड़ से अधिक भक्तों ने संगम में पवित्र स्नान किया है। सिर्फ आज ही, सुबह 10 बजे तक, 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई।
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