भारत में लोकतंत्र की जड़ें पाताल से भी गहरी : अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस
भारत में लोकतंत्र की जड़ें हड़प्पा सभ्यता, वैदिक सभा-समिति, गणराज्यों और बौद्ध संघों से लेकर संविधान तक फैली हैं। जानिए क्यों भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।
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Read Moreआलेख प्रवासी भारतीयों के अनुभवों और गिरमिटिया मजदूरों द्वारा दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हिंदी के प्रसार को भी उजागर करता है। फिजी, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद, अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और खाड़ी देशों में हिंदी कैसे पहचान और जुड़ाव का माध्यम बनी, इसका उल्लेख इसमें विस्तार से किया गया है।
Read Moreपितृ पक्ष केवल धार्मिक रीति नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह पूर्वजों की स्मृति और भावनात्मक संतुलन का पर्व है। आज की भागदौड़ भरी दुनिया में पितृ पक्ष हमें ठहरकर सोचने, अपनी जड़ों से जुड़ने और जीवन की क्षणभंगुरता को समझने का अवसर देता है।
Read Moreभारत में गाणपत्य सम्प्रदाय का ऐतिहासिक विकास गणेश उपासना की निरंतर यात्रा है। वैदिक विनायक से पौराणिक गजानन और आधुनिक विघ्नहर्ता तक, यह परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक रही है।
Read Moreजानिए कैसे गुरु-शिष्य परंपरा से लेकर आर्य समाज और आधुनिक शिक्षा संस्थानों तक भारत की शिक्षण परंपरा ने समाज को नई दिशा दी। तक्षशिला, नालंदा, गुरुकुल से लेकर DAV स्कूलों और शांतिनिकेतन तक का प्रेरक इतिहास।
Read More“नारियल केवल एक फल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म, लोकजीवन, साहित्य, स्वास्थ्य, जैवविविधता और अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है। जानिए नारियल का इतिहास, धार्मिक महत्व और भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इसका योगदान।”
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