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स्वामिनाथन ने दी चेतावनी: 70-90 घंटे काम करने से हो सकता है मानसिक तनाव और बर्नआउट

पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमुख वैज्ञानिक और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार सौम्या स्वामिनाथन ने हाल ही में कहा कि लगातार अधिक काम करने से शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि शरीर के संकेतों को समझना और पर्याप्त आराम करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिक काम करने से बर्नआउट और उत्पादकता में गिरावट हो सकती है।

PTI से बातचीत करते हुए स्वामिनाथन ने बताया कि कोविड-19 जैसी स्थितियों में कुछ समय के लिए तीव्र काम करना संभव है, लेकिन यह लंबे समय तक टिकाऊ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, “कोविड-19 के दौरान हम सबने कड़ी मेहनत की, लेकिन क्या हम इसे सालों तक जारी रख सकते थे? मुझे नहीं लगता।”

स्वामिनाथन ने यह भी बताया कि उत्पादकता का संबंध घंटों से अधिक, कार्य की गुणवत्ता से है। वे कहती हैं, “आप 12 घंटे तक काम कर सकते हैं, लेकिन आठ घंटे के बाद गुणवत्ता कम हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप काम की गुणवत्ता पर ध्यान दें, न कि केवल घंटों की संख्या पर।”

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हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रमण्यम और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने 70-90 घंटे काम करने की वकालत की थी। पूर्व नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने भी कड़ी मेहनत को भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा, “यह केवल मनोरंजन से नहीं होगा, हमें कड़ी मेहनत करनी होगी।”

हालांकि, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में संसद में बताया कि सरकार 70 या 90 घंटे काम करने की योजना नहीं बना रही है।

स्वामिनाथन का संदेश स्पष्ट है कि लंबे समय तक अत्यधिक काम करना मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है। स्वस्थ और संतुलित कार्य जीवन के लिए आराम और मानसिक भलाई को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है।