सनातन धर्म को किसी राजाश्रय, कॉर्पोरेट हाऊस या राजनैतिक पार्टी की आवश्यकता नहीं : स्वामी रामदेव

हरिद्वार। शक्ति व मर्यादा साधना का महापर्व चैत्र नवरात्रि व रामनवमी के उपलक्ष्य में वेदधर्म व ऋषिधर्म के संवाहक योगऋषि स्वामी रामदेव महाराज के 30वें संन्यास दिवस के पावन अवसर पर स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज के श्रीमुख से हिन्दवी स्वराज के प्रणेता छत्रपति शिवाजी महाराज की यशोगाथा छत्रपति शिवाजी महाराज कथा का शुभारम्भ योगभवन, पतंजलि योगपीठ-2 के सभागार में हुआ।

कथा के प्रथम दिन रामदेव महाराज व आचार्य बालकृष्ण महाराज व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए पूज्य गोविन्ददेव गिरि महाराज से कथा प्रारंभ करने का अनुरोध किया। कथा में स्वामी गोविन्द देव गिरि महाराज ने कहा कि शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किसी राजा का राज्याभिषेक नहीं था तथापि वह भारतीय इतिहास का सर्वोत्तम स्वर्ण क्षण था। इसके उपरान्त भारतीय इतिहास का दूसरा स्वर्ण क्षण 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का क्षण था ।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि अंग्रेजों से पहले हमारे देश में कोई भी जिला ऐसा नहीं था जिसमें गुरुकुल संचालित नहीं थे। 1818 से पहले भारत में 70 प्रतिशत लोग अत्यंत शिक्षित थे। अंग्रेजों ने अपनी शिक्षा नीति हम पर थोपकर भारत की शिक्षा को बर्बाद कर दिया । षड्यंत्रपूर्वक हमारे भारत के गौरवशाली इतिहास व भारतीय शासकों की पराक्रम गाथा को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया।

गांधी जी ने भी लंदन में भाषण देते हुए कहा था कि आप लोगों ने मेरे देश की शिक्षा पद्धति को नष्ट किया है।’ इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म के दो पक्ष हैं- एक भारत की सनातन ज्ञान परम्परा, ऋषि परम्परा, वेद परम्परा जो 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हजार 122 वर्ष पुरानी हमारी सांस्कृतिक विरासत है और दूसरा हमारे भारत के पूर्वजों का पराक्रम, शौर्य व वीरता ।
हमारा कलैण्डर 2024 वर्ष पुराना नहीं है। दुर्भाग्य से हम अपने इतिहास को, अपनी संस्कृति को, अपने वैभव को, गौरव को इतने भूल गए कि लगभग 200 करोड़ वर्ष पुरानी संस्कृति, संस्कारों, अपने सनातन ज्ञान के प्रवाह को, पुण्यों के प्रवाह को विस्मृत करके हम गुलामी, आत्मग्लानि, कुण्ठाओं भ्रान्तियों में डूब गए थे।

सनातन धर्म को किसी सहारे की आवश्यकता नहीं है, किसी राजाश्रय, कॉर्पोरेट हाऊस या राजनैतिक पार्टी की आवश्यकता नहीं है। ये सनातन के रक्षक नहीं है। सनातन धर्म तो शाश्वत है लेकिन सनातन धर्म विरोधी, राष्ट्र विरोधी जो असुर व राक्षस प्रवृत्ति के लोग जब सनातन के मूल्यों व आदर्शों पर प्रहार करते हैं, उस समय जिस जुझारूपन की जरूरत होती है वह हिन्दुत्व है।