युग संधि वेला में गायत्री उपासना का महत्व
अभी की बेला, संधि बेला की चल रही है, दो युगों की मिलन होने जा रहा है। कलयुग का अंत और सतयुग नवयुग का आगमन, जैसे दो ऋतुओ के मिलन की बेला संधि बेला में दोनों नवरात्रि आती है, जो विशेष अवसर और सौभाग्य जगाने वाली हो जाती है लेकिन जो जागृत अवस्था मे रहते है जप तप संयम की विशेष दिनचर्या का पालन करते है फायदे में रहते है और जो उस समय भी आम दिनचर्या का पालन करते है सुप्त पड़े रहते है वो अवसर चूक जाते है , ठीक वैसे ही अभी जो समय आया है वो हजारो साल में आता है जब एक युग का अंत और दूसरे युग के आगमन का हो और हम सब इसके साक्षी बनेंगे।
अभी का समय संधि बेला का है इसमें विनाश लीला और सृजन दोनों साथ ही चलेगा ये ईश्वर की योजना है, सभी धर्म ग्रंथो में इस समय को कलयुग का अंत समय कहा गया है और विनाश की गति तीव्र भी होगी ये कहा गया है। गुरुदेव ने कहा ईश्वर अपनी सृष्टि को इतनी आसानी से नष्ट नही होने देंगे वो सृजन भी करते चलेंगे, उन्होंने ये भी कहा कि युग तो ब्रम्हांड में परिवर्तन हो चुका है हमको सिर्फ अपनी भूमिका निभानी है आपनी अपनी लाठी लगाकर ईश्वर के इस कार्य मे सहभागी बनना है और सौभगय श्रेय को जगाना है।
इस बड़े परिवर्तन के लिए इस समय की सबसे बड़ी शक्ति गायत्री शक्ति का आवाहन स्वयम भगवान की योजना है क्योंकि सृष्टि का निर्माण करने के पूर्व स्वयम ब्रह्मा जी ने कई वर्षों तक गायत्री मंत्र की कठोर साधना की थी, इसलिए वेदों में गायत्री को विश्वमाता कहा गया है।
अभी नए युग का निर्माण भी गायत्री शक्ति से ही होना है। स्वयम आदि देव महादेव ने माता पार्वती से वार्तालाप में कहा कि मैं अपनी सारी शक्ति गायत्री उपासना से प्राप्त करता हूँ भगवान राम, कृष्ण के गुरु भी गायत्री के उपासक रहे है।
अभी फिर से नए युग के निर्माण हेतु सृष्टि को सुरक्षित रखने हेतु गायत्री मंत्र की सघन शक्ति की आवश्यकता है, यही युग परिवर्तन की देवी है ये व्यक्ति की नही भगवान की योजना है।
हम क्या करे
इस धरती के प्रत्येक व्यक्ति को इस समय ईश्वर की सृजन योजना का भागीदार बनकर इस कार्य के लिए अपनी गायत्री साधना की शक्ति को लगाना है , बहोत बिरला ही समय आता है जब ईश्वर धरती वासियो के आगे सहयोग हेतु हाथ पसारते है ,हमको इस पुकार को अनसुना करके सौभगय से चूकना नही है
द्वापर में ये मौका ग्वाल बालो ने पहचान और साथ दिया
त्रेता में रीछ वानरों ने मौका पहचान कर साथ दिया
अब हमारी बारी ,अबकी बार हमको सभी को
कम से कम अपनी 3 माला गायत्री मंत्र की शक्ति नियमित करना अनिवार्य है
1 माला आत्म कल्याण रक्षा हेतु
1 माला परिवार कल्याण रक्षा हेतु
1 माला समाज राष्ट्र कल्याण रक्षा हेतु
जो जितना ज्यादा कर सके उतना अच्छा लेकिन 3 माला गायत्री मंत्र कीतो अब हर किसी के लिए अनिवार्य है , सूर्य का ध्यान करते हुए पूरी श्रद्धा से 3 माला नियमित करे और ईश्वर को सौप दे अपनी भी थोड़ी शक्ति की एक लाठी भगवान के कार्य मे लगा दे। गायत्री मंत्र की कम से कम 3 माला भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए रोज सभी लोग जरूर करे
शास्त्रो से उदधृत
आर एस चौरसिया, अभनपुर